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मेरे दिवगंत मित्रों के कुछ पत्र
भेज दिया है, मालूम करिएगा । आपके पर पहुँचने के पश्चात उनको रुपया जल्दी पूना भेज देने के लिये ताकीद कर दिया है सो जानिएगा, जैन साहित्य सशोधक समाज के चन्दे की रसीद पहुंची, और मेरे योग्य सेवा लिखिएगा। आप शरीर सम्बन्धी सुखसाता लिखिएगा। सब साथ यथा योग्य कहिएगा । प्राचीन जैन लेख संग्रह की पुस्तक छपने से शीघ्र ही भेजने की कृपा कीजिएगा, ज्यादा शुभ । स० १९७७ भादो सुद १२
Calcutta 12-8-21
विद्वत्वर्य परम पूज्य श्री मुनि जिनविजय जी महाराज की पवित्र सेवा में-लि. पूरण चन्द नाहर की वन्दना अवधरिएगा। यहाँ श्री जिन धर्म के प्रसाद से कुशल हैं महाराज की शरीर सम्बन्धी सुखसाता सदा चाहते है। अपरच पत्र एक- आपको कल दिन लिखा है। समाचार ज्ञात हुए होगे आगे गत वर्ष जब मैं आपसे पूना में मिला था, उस समय आप जैन लेख की पुस्तक को छरवाते थे और जो सम्पूर्ण छप गया था, केवल भूमिका अपूर्ण थी। वह लेख की पुस्तक तैयार हो गई होगी । कृपा कर उसकी एक कॉपी मुझे तुरन्त भेजने का प्रवन्ध कर दीजिएगा । यदि सम्पूर्ण होकर प्रकाशित नही हुई हो तो उसके एडवांस फर्म अवश्य कृपा कर भेजिएगा। आज्ञानुमार उस फर्मे को देखकर लौटा देवेंगे। ___ मेरे यहां अब भेजने योग्य अधिक पुस्तकें नही रही है पाली टेक्स्ट सोसायटी तथा सेक्रेड बुक्स ऑफ दी इस्ट सिरीज की जो जो पुस्तकें यहाँ संग्रह कर सकूगा शीघ्र ही सेवा मे भेजू गा। ये सब पुस्तके पुरानी नहीं मिलेगी नई लेकर भेजनी पड़ेगी। आजकल विलायत के एक्सचेन्ज का रेट ज्यादा होने के कारण बुकसेलर लोगो ने बहुत कीमत