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मेरे दिवंगत मिगे के कुछ पत्र
उनमे विशेषता करते रहिएगा। आगे शुभ दुतिय श्रावण वद १० स० १६७७ ।
आपका कृपाभिलाषी
राजकुमार सिंह की वन्दना (१२)
Mookim Niwas 152, Harrison Road, Bara Bazar
Calcutta 24-9-1920 पूज्यपाद गुरुवर्य श्री श्री जिनविजय जी महाराज की पवित्र सेवा मे पूना
कलकत्ते से लिखा राजकुमारसिंह का सविनय वन्दना स्वीकारियेगा। मैं जोधपुर होता हुआ गुरुदेव के प्रताप से कुशलता पूर्वक यहाँ आ पहुँचा हूँ। भाण्डारकर ओरिएटल रिसर्च इन्स्टीटयूट के कार्य के लिये रुपये ५०,००० की स्वीकारता कराकर ही मैं बम्बई से रवाना हुआ था। इसकी मुझे बहुत खुशी है। अब वहाँ पर हाल का काम शुरू होगया होगा। उधर का कार्य अब शीघ्रता से होना चाहिये। सब हाल आपने लाल भाई से सुन ही लिया होगा। ____श्री मक्षीतीर्थ केस के सम्बन्ध में उज्जैन के वकील जमनालाल जी ने लिखा है कि उसमे अभी Jain Architecture, Jain Archieology, Jain History, Jain religion आदि जैन धर्म कला और साहित्य मे शोधखोज (Research) की दरकार है । इसमे बहुत सारा मसाला एकत्र है पर जिस विषय मे अधिक सहायता की आवश्यकता होगी। वकील सा० आपको लिखें, उसमे आप उनको सहायता करिएगा। आप जैसे विद्वान मुनिराज से समाज के सवही कामो मे सफलता होगी। ___आपको ज्ञात होगा। बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी मे जैन धर्म की शिक्षा का अपनी तरफ से विशेष प्रबन्ध हो रहा है। शिक्षा क्रम बनाया गया है जो पास कराने के लिये पेश होने ही वाला है। शिक्षा क्रम इस पत्र मे भेजा जाता है कृपा कर इस पर पूर्ण ध्यान देकर आपका सशोधन और समति शीघ्र लिखें।
राजकुमार सिंह की विनय पूर्वक वन्दना अवधारिएगा शुभ कार्य मे सभालिएगा।