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मेरे दिवंगत मित्रो के कुछ पत्र इंडियन एंटी क्वेरी का। कितने पृष्ठ रखेंगे ? कागज का एक टुकडा नमूने के लिये भेज दें। मूल्य ५) वार्षिक होना चाहिये और एक अंक का डेढ रुपया उचित होगा।
प्रथम अंक प्रकट होने का समय भी अब ठीक कर लेना चाहिये-- जिसमे काम उसी अन्दाज से प्रारम्भ कर दिया जाय ।
भाई केशवलाल प्रेमचंद मोदी अहमदाबाद वाले तथा भाई केशरी चन्द भंडारी देवास वालो ने सभासद होना स्वीकार किया है। श्रीयुत भाई चम्पत राय जी, कर्ता, 'की ऑफ नॉलेज' को इसका समाज सरक्षक बनाया है-अजीतप्रसाद जी सभासद होना स्वीकार करते हैं। आगे पत्र व्यवहार चल रहा है । नियमावली, बिना लोगो को कैसे आकर्षित किया जाय । कृपा कर एक कॉपी भी भेज दें तो उसकी कॉपी करालू तथा उसको अंग्रेजी भाषा मे भी अनुवाद करके छपालू। आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं रात दिन इसी चिन्ता में हूँ।दूसरा काम अच्छा नही लगता । पडित नाथूराम जी प्रेमी ने भी हर प्रकार की सहायता देने को लिखा है । प्रथम अक के लिये यह अवश्य एक लेख आपके पास भेजेंगे । पडित जुगल किशोर जी को भी इस समाचार से आनन्द हुआ । उनको आप एक लेख भेजने को लिखदें। सब लोग नियमावली मागते है सो ठीक ही है। विना नियम के देखे भाले सभासद या ग्राहक कोई कैसे बन जाय ।
प्रो० लड्डु, तथा पाण्डे हमारे प्राचीन मित्र थे । जैन सशोधन के प्रेमी थे । अकाल मृत्यु से दुख है डा० लड्ड, “प्रवचन सार" का अनुवाद आधा से अधिक कर चुके थे । पाडे जी खण्डगिरि पर एक पुस्तक हमारे लिये लिखते थे । यह दोनो अमूल्य कार्य अधूरा रह गया । जैन इतिहास के लिये ये लोग मूल्यवान व्यक्ति थे-अभी नवजवान थे-हाय । दुष्ट-काल ! तेरी गति निराली है। कृपा कर प्रथम अक मे क्या क्या मेटर प्रकाशित कराना है-इसका निश्चय करले-किससे लेख के लिये लिखना है इत्यादि कार्य शुरू करना चाहिये।