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मेरे दिवंगत मित्रों के कुछ पत्र और उनके लेख मे क्या फर्क है और उन्होने नया शौध कौन सा किया है यह देखने को मैं बहुत ही उत्कंठित हूँ। सो कृपा कर वह लेख शीघ्र भेजे।
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इन्दौर
१८-१२-१६ श्रीमान मुनि जिन विजयजी महाराज
मुकाम पूना इन्दौर से केशरी चन्द भंडारी का यथा योग्य वन्दन प्रविष्ट होवे । आपका ता० ११-११-१६ का कृपा पत्र मुझे देवास में प्राप्त हुआ। आवेदन पत्र भी मिले आपकी योजना बहुत ही सुन्दर है। आपकी सहायता से पत्र का उद्देश्य पूर्णतया फलीभूत होगा इसमें कुछ सन्देह नही। जिसमें कुमार देवेन्द्र प्रसादजी व भाई मनसुख भाई सरीखे उत्साही विद्वान व कर्तव्य दक्ष गृहस्थो का योग होने से इस कार्य मे आपको पूर्ण यश प्राप्त होवेगा।
मुझे भी सेक्रेटरी होने के बारे में आपने फर्माया सो मेरे मे जो जो खामी हैं वह मैंने मेरे पहले पत्र में प्रकट करही दी है। यदि इतनी खामियों के होते हुए भी भाप मुझे सेक्रेटरी तरीके मुकर्रर करना पसद करते हैं तो मैं वह पद साभार स्वीकार करता हूँ मात्र आपका साह्य मुझे निरन्तर होना चाहिये । कृपा करके मेरा नाम लाइफ मेम्बर तरीके दर्ज कर लेवें।
आपने अपने पत्र में जो जो विचार प्रकट किये हैं वे बहुत ही प्रसंशनीय हैं व उनसे में पूर्णतया सहमत हूँ। मात्र आपके साथ पर्यटन करने को मैं बिल्कुल असमर्थ हूँ। कारण खूनी बवासीर के कारण मुझे हमेशा तकलीफ रहती है । ऐसी हालत मे प्रवास करना, यह मेरे से