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१०] मेरे दिवगत मित्रो के कुछ पत्र करने मे आता है कि अन्दाज रू० ३६०००/ हो गए । अव १००००/ के वास्ते आप पूने में जिन जिन ने कहा था उनको ठीक कर रखिये और मुझे लिखियेगा इसमें हॉल के वास्ते २५०००/ सेठ हीर जी खेत सी भाई ने ही दिया है, जिसके वास्ते उन्हें बहुत धन्यवाद है। आज सवेरे हीर जी भाई अपने यहाँ जीमने आये थे उनसे इस वारे मे जब बात हुई-इसे बहुत पसन्द किया और रुपये भर दिये सो अब यह काम तो हो गया। अब आप और जो-जो अपने हक में फायदे की कार्यवाही करने की है करके और जो अच्छा कर सके करियेगा।
और अब हम कल काठियावाड जाते है और दिसम्बर पहले जब आप लिखेंगे ये रुपये भेज दिये जायेगे। अभी यहां से भी ४/५ हजार तो उन्ही के हैं। काम पड़े तो पूरे ५०/ हजार भी इधर ही मानो पूना सिवाय के शहरों से ही हो जायगा, लेकिन फिर पूने को भी तो लाभ मिलना चाहिये और जिन-जिन उदार पुरुपो ने १० हजार जैसी रकम देके पाटिया मारने के वास्ते दिल किया था और दिसावरो तक ये बात खुद प्रकट कर गये है।
उनके नाम का पाटिया भी जरूर लगना चाहिये। अगर ५०/ हजार से ज्यादा रकम हो जाते है तो और कुछ विशेष हक और लाभ जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक के वास्ते लीजे क्योकि ये कुल रुपये मूर्ति पूजक मे किये है और जो पेटन के हजार-हजार एक दो के थे, उससे कभी कोई रकम नही भराई गई है। हॉल का नाम खेतसी खेसी जे०पी० होना चाहियेगा। और अगर ५० हजार से ज्यादा देने मे विशेष लाभ नही मिलता दीखे तो जणी का ज्यादा रुपया देना, उचित नही दीखे तो समाप्त कीजिएगा मुझको पत्र घ्रागधरा सरकारी महमान घर करके दीजिएगा। कृपा रखिएगा। आगे शुभ श्रावण सुदी १ सवत् १९७५ द० राज कुमारसिंह की विनय पूर्वक वन्दना अवधारिएगा। मेरी एक प्रार्थना है कि आजकल ये साधु समाज मे गच्छ कदाग्रह घुसा है ये मिटाने का प्रयत्न कर लाभ उठाने का ध्यान रखिएगा।
इस सस्था के कायदे कानून वगैरा हालात के कागजात मैं भी