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४] मेरे दिवंगत मित्रों के कुछ पत्र ५-७ आदमी की यहाँ की है। उसे भी प्रसार करा देनी है वह आनन्दजी कल्याणजी के हाथ नीचे मगसी का प्रयास करेगी। खर्च आनन्दजी कल्याणजी करे या संघ से करादे सो प्रयास चला है। तो अधिष्ठायक कृपा करेंगे । अब यह पूना लाइब्रेरी का काम जैसा आपने लिखा वैसा ही परम उपयोगी और करने ही का है। यह मौका हरगिज नही छोडना चाहिये और अधूरा रहे ऐसा दीखता भी नही है। श्री संघ जयवता है और आप जैसे उपदेशक उत्साही साधु द्वारा कार्य सिद्धि होगी। आपने जो कार्य किया उचित समय को संभाला, ये प्रशंसनीय है। मैंने सेठ गुलाबचन्द दुल्हेचन्द जसकरण भाई मोतीलाल मूलजी जीवनलालजी पन्नालालजी से सेठ हीरजी खेतसी से कहा है और वे लोग भी करने को कहते है। अब आप एक दफे सेठ वीरचन्द भाई को लिखकर यहाँ भिजवा दीजिये वे दोनो साहवो की रकम पक्की रखिये और यहाँ से करने से हो जायेगा । सेठ हीरजी भाई भी इसमे प्रिति रखते. रहै । फिर यह काम तो ५०,०००/- करके पूरा ही करना चाहिये। २० दोनो ने दिये सुना ५०००) एक ओर ने तो धारे तो खास पूना २५ और पूरे कर सके है। या नही तो वम्बई मे होगा एक दो से या फड से ही इसके सिवाय एक पत्र मैंने टाइप करके हाल दस बीस जगह भेजना विचारा है एक कॉपी आपके देखने को भेजता हूँ। कही से भी आके समय तक काम हो जावेगा। यह पूरी पास रखकर कार्य की सफलता का बनता प्रयास करते रहियेगा और कृपा रखियेगा धर्म स्नेह विशेष रखियेगा । आगे शुभ
ह. राजकुमार की बन्दना