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महावीर की साधना का रहस्य
तुम्हारा भाई मिल जाएगा ।" वे फिर गयीं। उन्हें आश्चर्य हुआ कि गुफा में स्थूलभद्र ध्यान - मुद्रा में बैठा है । यह कैसे हुआ ? कुछ क्षण पहले गुफा में सिंह था, अब भाई है । सिंह कोई नहीं था । स्थूलभद्र ही तब का सिंह था और तबका सिंह ही अब स्थूलभद्र है ।
मनुष्य की धारणा तन्मयता के उत्कृष्ट बिन्दु पर पहुंचती है तब मनुष्य वही बन जाता है जैसी उसकी धारणा होती है ।
भगवान् महावीर ने कहा - " यह पुरुष अनेक चित्त वाला है। हजारोंहजारों चित्त हमारे पास होते हैं । एक चित्त से हम एक बात करते हैं तो दूसरे चित्त से हम दूसरी बात करते हैं ।" पिता ने बच्चे से कहा - "घर से बाहर नहीं जाना है।” अब बच्चा क्या करेगा ? जैसे ही देखेगा कि पिता नहीं देख रहा है, वह बाहर चला जाएगा । उसका एक चित्त रुक रहा है कि घर के बाहर नहीं जाना चाहिए और दूसरा चित्त बाहर जाने को उत्सुक हो रहा है । वह दोनों चित्तों से काम लेता है । पिता देखता है तब घर से बाहर नहीं जाता और वह नहीं देखता तब घर से बाहर चला जाता हैं । हम अपने जीवन की हर घटना में देखें और विश्लेषण करें तो पता चलेगा कि हम हजारों चित्तों का जीवन जीते हैं। डॉक्टर ने मनाही की - " मिठाई नहीं खानी है ।" घर में मिठाई बनी है । सब लोग खा रहे हैं । जिसे मिठाई खाने की मनाही है, वह एक चित्त से मिठाई नहीं खा रहा हैं और दूसरे चित्त से मिठाई खा रहा है । यह टूटे हुए चित्त की स्थिति है । यह विभक्त व्यक्तित्व है । (जिनका मन एकाग्रता के बिन्दु पर नहीं पहुंचा है, वे सब लोग खण्डित जीवन जीते हैं) समग्रता का जीवन वे ही जी सकते हैं, जिन्होंने एकाग्रता की साधना की है । यदि मुझसे कोई पूछे कि साधना की परिभाषा क्या है, मैं इसका सीधा और सरल उत्तर दूंगा कि साधना की परिभाषा है - चित्त की अखण्डता का अभ्यास । खण्ड-खण्ड में बंटे हुए चित्त को जोड़कर अखण्ड कर लेना ही साधना है | चेतना की अखण्डता सधती है तब व्यक्ति के लिए कुछ भी दुर्लभ नहीं होता । आज हमारी सारी उलझनें इसीलिए बढ़ रही हैं कि हमारी चेतना अनगिन खण्डों में विभक्त है । एक खण्ड इधर तानता है तो दूसरा खण्ड उधर । चित्त के अनेक खण्ड हैं और जितने खण्ड हैं, उतने ही आकर्षण । एक व्यक्ति भीतर बैठा है। उसने बाजे का शब्द सुना, तत्काल बरामदे में आकर खड़ा हो गया । वह आराम से भीतर बैठा था । बरामदे में धूप में आकर क्यों खड़ा हुआ ? चित्त के एक खण्ड ने उसे खींचा और वह बाहर
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