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ज्यों था त्यों ठहराया
विश्लेषण कर के देखूंगा कि सौंदर्य है या नहीं। वह फूल को काटेगा। काटना उसकी प्रक्रिया है। वह फूल को काट कर, फूल को गला कर, फूल को जला कर राख कर देगा, और छांट कर रख देगा कि किन-किन रासायनिक द्रव्यों से मिल कर फूल बना है। मिट्टी यह रही पानी यह रहा; रंग ये रहे ; खुशबू यह रही । और तुमसे कहेगा कि भई, और सब तो मिला - रंग मिला, खुशबू मिली, पानी मिला, मिट्टी मिली, मगर सौंदर्य नहीं मिला। सौंदर्य था ही नहीं तुम्हारी भांति रही होगी।
जोड़ने से पा सकोगे ।
सौंदर्य होता है समग्रता में। जैसे ही काटा, वैसे ही उड़ जाता है; सौंदर्य अदृश्य हो जाता है। तुमने काटा कि अदृश्य हुआ । फूल अपनी समग्रता में सुंदर है। खंड हुआ--कि सौंदर्य गया। सौंदर्य अखंड में है सत्य भी अखंड में है इसलिए तर्क कभी सत्य को नहीं पा सकता । तर्क जो भी पाएगा, वह मरा हुआ होगा। सत्य जीवंत है। सत्य जीवन का ही दूसरा नाम है। राबिया ने कहा, मियां, अब्दुल वहीद आमरी, कब तक कैंची की तरह काटते रहोगे! ऐसे कुछ पाओगे नहीं। यह लो सीख ! सुई की तरह जोड़ो। जोड़ो--तोड़ो मत विज्ञान तोड़ता है, धर्म जोड़ता है। और जो धर्म तोड़ता हो, वह धर्म नहीं। और तुम्हारा तथाकथित धर्म तोड़ता है हिंदू को मुसलमान से अलग कर देता है मुसलमान को ईसाई से अलग कर देता है। ईसाई को जैन से अलग कर देता है। फिर जैन को भी काटता है। काटता ही चला जाता है! कैची का काम काटना है। फिर श्वेतांबर को दिगंबर से अलग कर देता है। फिर शिया को सुन्नी से अलग कर देता है। ईसाइयों में प्रोटेस्टेंट को कैथोलिक से अलग कर देता है। काटता ही चला जाता है! खंड-खंड करता चला जाता है। यह धर्म नहीं है। यह जीवन का शाश्वत नियम नहीं, जिसको धर्म कहे।
धर्म तो वह है, जो सबको ही धारण किए हुए है। धर्म तो वह, जो सबके भीतर अनस्यूत है। जिस धागे में हम सब पिरोए हुए हैं; जो हमें एक करता है।
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धर्म तो एक हो सकता है; अधर्म अनेक हो सकते हैं। ये सब अधर्म हैं--हिंदू, ईसाई, मुसलमान, जैन, बौद्ध-- ये सब अधर्म हैं। बुद्ध को धर्म का पता था; वे तोड़ते नहीं । जीसस को पता था; वे तोड़ते नहीं वे जोड़ते हैं मगर पोपों को, तुम्हारे तथाकथित शंकराचार्यो को--इनको धर्म का कुछ भी पता नहीं है। ये तो अधर्म को धर्म मान कर बैठे हुए हैं। और अधर्म यानी छिपी हुई राजनीति अधर्म यानी छिपा हुआ तर्क
यह तर्कजाल है। इस तर्कजाल
में जो उलझ गया, वह जंगल में भटक गया। उसे कूल किनारा न मिलेगा ।
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गुब्बारा है, उसको फोड़ देने
राबिया ने कहा कि मियां, यह सुई सम्हालो। इशारा समझो। क्या अंदाज है! क्या अदा है उसकी जरा-सी सुई, मगर काफी है- तर्कशास्त्री के घमंड का जो के लिए कहा कि प्रेम सीखो तर्क छोड़ो कहा कि ध्यान सीखो - ध्यान जोड़ता है। ध्यान मनुष्य और परमात्मा के बीच सेतु है,
ज्ञान छोड़ो ज्ञान तोड़ता है
और ज्ञान बाधा है, दीवार
है।
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और हसन को सिर का एक बाल दिया। बाल की एक खूबी है, बाल काटते हो तुम, तो दर्द नहीं होता। शरीर का अंग है;
तुमने खयाल किया होगा, काटते हो, लेकिन दर्द नहीं
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