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ज्यों था त्यों ठहराया
तो कोई फर्क नहीं पड़ता। वहीं उत्सव मनाऊंगा। वहीं तुम संन्यासी बना लिया है!
तुम मुझे नर्क में भी भेज दो, पाओगे कि शैतान को मैंने अब मुझे कोई न सुधरना है, न बिगड़ने का कोई डर है मगर ये देखते हो मूढता पूर्ण बातें कि भगवान रजनीश अच्छे ढंग से बोल रहे हैं; पहले जैसे नहीं रहे हैं, कुछ सुधर गए हैं! कुछ! उसमें भी कंजूसी है। पूरा कैसे कहें, क्योंकि भीतर तो कुछ और भरा है। भीतर तो यह भरा है कि मैं उनकी जड़ें काटे डाल रहा हूं। इसलिए कुछ अपने लिए बचाव भी तो रखना पड़ेगा। अगर कह दें कि बिलकुल सुधर गए हैं, तो फिर विरोध कैसे करेंगे? तो कुछ सुधर गए हैं। सो मेरे संन्यासियों को भी राजी कर लें और महंत मंडलेश्वर और महात्माओं को भी राजी कर ले कि कुछ ही कहा है मैंने, कुछ पूरा तो कहा नहीं।
भगवान का अर्थ ही होता है कि जिसने सब पा लिया; जिसने अपने को पा लिया; जो अपने घर आ गया; जिसने अपने स्वभाव में थिरता पा ली ज्यूं था त्यूं ठहराया ! और आखिरी छठवीं बात उन्होंने कही कि मैं अखिल भारत सनातन धर्म परिषद का उपप्रमुख हूं और गुजरात में रहने के कारण कच्छ के आरम का विरोध संगठन की ओर से करना पड़ रहा है।
क्या बेईमानी है ! तो छोड़ो ऐसा संगठन जिसके कारण झूठ काम करने पड़ रहे हैं!
इस वक्तव्य का तो मतलब यह हुआ कि वे विरोध नहीं करना चाहते, लेकिन चूंकि सनातन धर्म परिषद के उप प्रमुख हैं, इसलिए संगठन के कारण विरोध करना पड़ रहा है। तो छोड़ो संगठन सत्य के लिए सत्य बड़ा है कि संगठन बड़ा है?
लेकिन सब तरफ राजनीति है। उप-प्रमुख हैं, कैसे छोड़ दें! पद पर हैं। पद बड़ी चीज है, सत्य वगैरह की किसको फिक्र है! सत्य का विरोध किया जा सकता है, मगर पद थोड़े ही छोड़ा जा सकता है! पद के लिए समझौता किया जा सकता है।
ये कैसे धार्मिक लोग हैं, जो खुद कह रहे हैं अपने मुंह से कि संगठन के कारण विरोध करना पड़ रहा है; मैं विरोध नहीं करना चाहता! यह तो मजबूरी है, चूंकि में उप-प्रमुख हूं। तो इस्तीफा क्यों नहीं देते? कौन तुम्हें रोक रहा है इस्तीफा देने से इस्तीफा दे दो ऐसे संगठन में क्या रहना जो गलत काम करता हो, गलत काम करवाता हो? और ऐसे संगठन को सनातन धर्म कैसे कहना ?
सनातन-धर्म किसी की बपौती नहीं है। हिंदुओं की कोई बपौती नहीं है। सनातन-धर्म और हिंदू-धर्म पर्यायवाची नहीं हैं। सनातन-धर्म पर किसी को ठेका नहीं है।
सनातन-धर्म का अर्थ होता है: धर्म की वह अनंत धारा, जिसमें सब बुद्ध हुए - लाओत्सू हुए, जरथुस्त्र हुए, कृष्ण हुए, महावीर हुए, जीसस हुए, कबीर हुए, नानक हुए, रैदास हुए, रज्जब हुए। यह अनंत धारा !
सनातन-धर्म का अर्थ हिंदू नहीं है। सनातन धर्म का अर्थ तो समस्त धर्मों का जो सार है, निचोड़ है--बाइबिल, कुरान, वेद, धम्मपद अवेस्ता इन सबका जो निचोड़ है, जो
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