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ज्यों था त्यों ठहराया
को उपलब्ध हो जाता है। फिर वहां कोई दुख नहीं है। फिर वहां महासुख है, परम शांति है।
आनंद ही आनंद अमृत ही अमृता और यह बात भी सच है कि इन दोनों के बीच में जो है, वह दुखी है। मूढ़--उसे पता नहीं, बेहोश है प्रबुद्ध उसे पता है, परिपूर्ण होश है। इन दोनों के मध्य में जो है, वह दुखी है। वह बड़े झमेले में है। न यहां का, न वहां का। न घर का न इधर शरीर खींचता है, उधर आत्मा पुकारती है। इधर बाहर की उधर भीतर का लोक निमंत्रण देता है। यहां धन खींचता है, पंचातानी! कोई टांग खींच रहा है। कोई हाथ खींच रहा है!
घाट का - धोबी का गधा है!
दुनिया आकर्षित करती है,
वहां ध्यान पुकारता है।
जरा जरा-सा होश भी है, मगर धुंधला-धुंधला इतना नहीं कि महासुख दिखाई पड़ जाए। मगर इतना होश है कि दुख दिखाई पड़ता है। इतनी रोशनी नहीं कि अंधेरा मिट जाए। मगर इतनी रोशनी है कि अंधेरा दिखाई पड़ता है जैसे सुबह-सुबह, भोर में भी सूरज नहीं निकला; अभी रात के आखिरी तारे नहीं डूबे। कुछ-कुछ हल्की-सी रोशनी है। और गहन अंधकार भी --साथ- साथ ! मध्य में जो है, वह संध्या काल में है। उसकी बड़ी विडंबना है। न यहां का, न वहां का! वह त्रिशंकु की भांति लटक जाता है। न इस लोक का, न परलोक
का ।
कुछ लोगों की यह गति है। खास कर उन लोगों की, जिनके जीवन में थोड़ी-सी धार्मिकता है जिनके जीवन में थोड़ा सा प्रार्थना का स्वर सुनाई पड़ा है जिनके जीवन में क्रांति की थोड़ी-सी चिनगारी पड़ी है। वे बड़े दुखी हो जाते हैं और वे तब तक दुखी रहेंगे, तब तक वे परम सत्य को न पा लें।
बुद्ध बहुत दुखी हो गए थे, तभी तो राजमहल छोड़ा। और जिन घटनाओं को देख कर दुखी हुए थे, उन्हीं घटनाओं को तुम रोज देखते हो, और तुम्हें कुछ भी नहीं होता ! चार घटनाओं का उल्लेख है।
बुद्ध जब पैदा हुए, तो ज्योतिषियों ने कहा कि सम्राट, हम बड़े संकोच से भरे हैं। आपके बेटे का भविष्य बड़ा अनिश्चित है। या तो यह चक्रवर्ती सम्राट होगा। अगर रुक रहा संसार में, तो यह सारे जगत का विजेता होगा लेकिन पक्का नहीं कह सकते। एक संभावना यह भी है कि सब त्याग कर संन्यासी होगा। तब यह बुद्धत्व को उपलब्ध होगा। या तो चक्रवर्ती सम्राट या बुद्ध ।
सिर्फ एक युवक ज्योतिषी भी मौजूद था। कोदन्ना उसका नाम था वह भर चुप रहा सम्राट ने पूछा कि तुम कुछ नहीं कहते उसने एक अंगुली उठाई। सम्राट ने कहा, इशारे मत करो। साफ-साफ कहो। क्या कहना चाहते हो एक अंगुली उठा कर ?
कोन्ना ने कहा कि मैं सुनिश्चित रूप से कहता हूं कि यह व्यक्ति बुद्धत्व को उपलब्ध होगा । सम्राट को बहुत धक्का लगा कि एक ही बेटा था। वह भी बुढ़ापे में पैदा हुआ था! यह संन्यस्त हो जाएगा। फिर मेरे साम्राज्य का क्या होगा! इसे कैसे रोका जाए कि यह सन्यस्त न हो।
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