________________
ज्यों था त्यों ठहराया
एक नेता भाषण दे रहे थे आप पिछली सारी बातों को भूल जाइए और नए सिरे से आगे बढ़िए हमें अब देश को सुनहरे...।
उसी समय पीछे से आवाज आई, भैयाजी, पहले मेरे उधार के सारे रुपए वापस दे दीजिए, तब सब कुछ पुराने भुलाने की बात कीजिए। अभी नहीं। पुराना कैसे भूल जाऊं? पहले पैसे तो लौटा दो!
एक सभा में एक सज्जन अपनी पार्टी के नेता की प्रशंसा करते हुए कह रहे थे वे सूरज हैं, हम उनकी किरणें हैं। वे समुद्र हैं; हम उनकी लहरें हैं। वे फूल हैं; हम उनकी खुशबू हैं। बीच में खड़े हो कर मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा, वे कड़ाही हैं और तुम उनके चमचे हो! बाक सब बकवास है!
एक नेताजी ने एक बार अपनी पत्नी को अपने दोस्त मुल्ला नसरुद्दीन के साथ पलंग पर लेटे हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। दूसरी बार की बात है, नेताजी के छोटे बच्चे ने उन्हें खबर दी कि आपके मित्र नसरुद्दीन के साथ दोपहर को मम्मी बैठक रूम में सोफे पर सोई हुई थीं। नेताजी को इस बात से काफी क्रोध आया। एक बार गलती माफ की जा सकती है, किंतु दुबारा नहीं। फिर भी वे किसी तरह संयम साध कर चुप रह गए।
फिर तीसरी बार ऐसा हुआ कि नेताजी के आफिस में हड़ताल हो जाने के कारण वे शाम को जल्दी घर लौट आए। घर में जो देखा, तो उनका गुस्सा आसमान पर चढ़ गया। किचन में डाइनिंग टेबिल पर नसरुद्दीन और उनकी पत्नी बिलकुल दिगंबर पड़े थे। हुए नेताजी ने गरज कर कहा, बेशर्मी की भी हद्द होती है। आखिर में कहां तक बर्दाश्त करूं! आज कुछ निर्णय लेना ही पड़ेगा। पहले पलंग पर रासलीला होती थी। फिर सोफे पर अब डाइनिंग टेबिल पर हो रही है! कुल-मर्यादा और संस्कृति नाम तो कोई चीज ही नहीं बची। तुम दोनों कान खोलकर अच्छी तरह से सुन लो। यह मेरा आखिरी फैसला है। चौबीस घंटे के अंदर ही मैं सारे उपद्रव की जड़ को ही समाप्त कर के दम लूंगा । ऐसा चिल्लाकर नेताजी गुस्से में भनभनाते हुए घर से निकल कर चले गए।
दूसरे दिन सुबह वापस आए। पता है उन्होंने क्या किया? घर के सभी पलंग, सोफे, टेबिलें, कुर्सियां तथा अन्य फर्नीचर एक कबाड़ी को रास्ते दामों में बेच दिया और तब चैन की सांस ली। ऐसे उन्होंने जड़ ही काट डाली न पलंग, न सोफा, न टेबिल अब करो रासलीला ! नेताओं के अपने गणित हैं !
तुम्हीं हो ताली, तुम्हीं हो थाली, तुम्हीं हो गाड़ी,
दया करो हे दयालु नेता दया करो हे दयालु नेता रहे अनाड़ी के हम
से बर्थ खाली, दया करो, हे दयालु नेता तुम्हीं हो डाकू, तुम्हीं हो खंजर, तुम्हीं हो चाकू तुम्हीं दुनाली, दया करो, हे दयालु नेता
तुम्हीं हो चीनी, तुम्हीं ने ओठों से चाय छीनी
तुम्हें हो भाषण, तुम्हीं हो बैंगन, तुम्हें हो इंजन, दिला दो टी. टी. तुम्हीं पुलिस हो, तुम्हीं हो गोली, तुम्हीं हो चम्मच,
Page 171 of 255
http://www.oshoworld.com