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ज्यों था त्यों ठहराया
जीवन नहीं मिलता। इसलिए इस देश में हम उस व्यक्ति को ब्राह्मण कहते थे, जो द्विज है। द्विज का अर्थ है, जिसने दबारा जन्म पा लिया। एक जन्म तो मिलता है मां-बाप से। उसका कोई बहुत मूल्य नहीं है। तुम बीज की तरह पैदा होते हो और बीज की तरह ही मर जाओगे--तो जिंदगी में कैसे गीत! कैसी बहार! कुछ भी नहीं। खाली के खाली आए, खाली के खाली गए! रिक्त हाथ आए, रिक्त हाथ गए। पीड़ा होगी। संताप होगा। तनाव होगा। बेचैनी होगी। लेकिन कोई उत्सव नहीं होगा। उत्सव असंभव
द्विज होना होगा। बारा जन्म लेना होगा। एक जन्म मां-बाप ने दिया, एक तुम्हें स्वयं लेना होगा। स्वयं जन्म लेने की प्रक्रिया का नाम ही संन्यास है। संन्यस्त हुए बिना कोई ब्राह्मण नहीं होता। जन्म से कोई ब्राह्मण नहीं होता। जन्म से तो सभी शूद्र होते हैं। फिर क्या करते हैं अपनी जीवन ऊर्जा के साथ--इस पर निर्भर करता है। सौ में से निन्यानबे प्रतिशत लोग तो शूद्र की ही भांति मर जाते हैं; उनका दूसरा जन्म नहीं हो पाता। और ध्यान रख लेना--ब्राह्मण घर में पैदा होने से कोई ब्रह्म नहीं होता। जब तक भीतर ब्रह्म का जन्म न हो जाए, तब तक कोई न ब्रह्म है, न ब्राह्मण है। बुद्ध ब्राह्मण हैं। जीसस ब्राह्मण हैं। मोहम्मद ब्राह्मण हैं। लेकिन ब्राह्मण घर में पैदा होने से कोई ब्राह्मण नहीं होता। बुद्ध ने कहा है, जो ब्रह्म को जान ले, वही ब्राह्मण है। और ब्रह्म कहीं बाहर तो नहीं। ब्रह्म तुम में छिपा बैठा है। बहुत पुरानी कहानी है। ईश्वर ने पृथ्वी बनाई, संसार रचा, तब वह बीच बाजार में ही रहता था संसार के। कुछ अनुभव न था संसार का। स्वाभाविक था कि उसने जो रचा था, उसके बीच में रहा। लेकिन लोग उसे परेशान करते। शिकायतों पर शिकायतें! अभी भी लोग वही करते हैं मंदिरों में, मस्जिदों में, गुरुद्वारों में, गिरजों में। कहते हैं, प्रार्थना करते हैं शिकायत! हजार शिकवे ले कर जाते हैं--ऐसा होना; ऐसा नहीं होना चाहिए; ईश्वर को सलाह देने जाते हैं कि कैसा होना चाहिए।
और जो सलाह देते हैं, अगर गौर से सुनें, तो बड़ी अदभुत सलाह देते हैं। इमरसन कहा करता था, मैंने बहुत लोगों की प्रार्थनाएं सुनीं और यही पाया कि सब परमात्मा से कहते हैं कि हे प्रभु, दो और दो मिल कर चार न हों। दो और दो मिल कर पांच हो जाएं! दुनिया में सब मरते हैं और आदमी प्रार्थना करता है, हे प्रभु, मैं कभी न मरूं। यह दो और दो को पांच करने की कोशिश है। जिंदगी में चीजें आती हैं और जाती हैं। और लोग प्रार्थना करते हैं कि जो मुझे मिला है, सदा मेरा रहे; थिर रहे। जवानी है, तो जवानी। बुढापा न आए। स्वास्थ्य है, तो बीमारी न आए। धन है, तो निर्धनता न आए। जीत रहा हूं, तो हार न जाऊं। और जानते हैं सब कि
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