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ज्यों था त्यों ठहराया
बढ़ जाता है। क्योंकि दूध में खून को बढ़ाने वाली शक्ति है, क्षमता है। दूध मां का खून ही है। और अपनी मां का पीओ--तो ठीक! गौ-माता का पी रहे हो! गौ-माता का दूध तुम्हारे लिए नहीं है। ये लटपटानंद किसका दूध पीते रहे? गौ-माता का? यह गौ-माता का दूध गौ-पुत्रों के लिए है। यह बछड़ा-बछेड़ियों के लिए है। यह लटपटानंदों के लिए है नहीं। कोई गाय नहीं कहती कि आओ बेटा लटपटानंद, दूध पीओ! यह गऊ के साथ अनाचार है, बलात्कार है। जबर्दस्ती उसका दूध छीना जा रहा है। उसके बच्चे का दूध छीना जा रहा है! और यह भी ध्यान रखा कि गौ का दूध पीओगे, तो सांड हो जाओगे। क्योंकि वह सांडों के लिए है; आदमियों के लिए नहीं। जितना ज्यादा दूध पीओगे, उतनी ही कामवासना सताएगी। सात्विक कैसे हो जाएगा! क्योंकि जितना दूध पीओगे, उतनी ही शरीर में ऊर्जा होगी। और ऊर्जा भी सांडों जैसी होगी। क्योंकि वह दूध बना सांडों के लिए था; तुम्हारे लिए बना नहीं था। फिर लंगोट कस कर बांधो! लंगोट के पक्के रहो! पहले दूध पीओ--फिर लंगोट के पक्के रहो! दुग्धाहार आहार सात्विक कतई नहीं है। मैं नहीं कहता कि मत पीओ। मगर यह जान कर पीना कि यह सात्विक आहार नहीं है। इस भ्रांति में मत रहना कि दुग्धाहार सात्विक आहार
ईसाइयों का एक संप्रदाय है--क्वेकर--वे दूध नहीं पीते। चाय भी बिना दूध के पीते हैं। काफी भी बिना दूध की पीते हैं। वे दूध को मांसाहार ही मानते हैं। और मैं उनसे राजी हूं। वे ठीक कहते हैं। तुम्हारे सारे ऋषि-मुनि गलत बकवास करते रहे हैं। क्वेकर ठीक कहते हैं। क्योंकि दूध प्राणी-आहार है--एनीमल फुड है। चाहे मांस खाओ, चाहे खून पीओ--चाहे दूध पीओ! सात्विक क्या है दूध में? और यह भी तुमने देखा कि आदमी को छोड़ कर कोई जानवर एक उम्र के बाद दूध नहीं पीता। और तुम छब्बीस साल के हो गए और गृहस्थाश्रम में प्रवेश करने का अवसर आ गया, और अभी भी दूध पी रहे हो? बछेड़े, बछियां एक समय तक दूध पीते हैं, इसके बाद घास चरते हैं। तुम घास कब चरोगे? गृहस्थाश्रम में प्रवेश होने का अवसर आ गया--अब घास चरो! अब गौ-माता का दूध काफी पी लिए। काफी सता लिए गौ-माता को। अब घास खाने का समय आ गया! और अभी मौसम अच्छा। हरा घास उपलब्ध है! जी भर कर चरो! आदमी को छोड़ कर कोई पशु पृथ्वी पर बचपन की एक उम्र के बाद दूध नहीं पीता। जब भोजन करने के योग्य हो गए, तो अब दूध पीने की क्या जरूरत? दूध तो छोटे बच्चे के लिए है। वह जो कि भोजन नहीं पचा सकता, उसके लिए है। लटपटानंद--इनके लिए दूध है? इनसे भोजन नहीं पचता था? लेकिन मूर्खतापूर्ण बातें अगर पुरानी हों, तो हमें लगता है कि सही होनी ही चाहिए। और तब तुम्हें मेरी बातें विचित्र भी मालूम होंगी। क्योंकि तुम गलत सत्संग में रहे हो। तुम नासमझी
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