________________
ज्यों था त्यों ठहराया
ध्यान का फूल है प्रेम बुद्धों के पास प्रेम होता है। उनसे मांगो मत झोली फैलाओ मत फैलाओ तो भी बरस जाते हैं।
ध्यान की छाया है प्रेम मांगो, तो भी वे देते हैं। जहां रोशनी है, वहां जाओगे, तो रोशनी तुम पर पड़ेगी ही तुम्हारे मांगने, न मांगने का सवाल नहीं। फूल खिलेगा, उसके पास से गुजरोगे--गंध मिलेगी। मांगने न मांगने का कोई सवाल ही नहीं है।
लेकिन इस जगत में बड़ी अजीब हालत चल रही है। भिखमंगे भिखमंगों के सामने भिक्षापात्र लिए खड़े हैं कि कुछ दे दो! बाबा, कुछ मिल जाए ! और दूसरा भी मांग रहा है। और दोनों इस भ्रांति में हैं कि दूसरे के पास होगा किसी के पास नहीं है।
सिर्फ उन थोड़े से लोगों के पास प्रेम होता है, जिन्होंने ध्यान की अंतिम गहराइयां हुई हैं। प्रेम परिणाम है ध्यान का
और मजा यह है कि ध्यानी किसी से प्रेम नहीं मांगता, देता है; सिर्फ देता है मांगता ही नहीं ।
और यह भी तुम समझ लेना -यह जीवन का महागणित - कि जो देता है, उसे बहु मिलता है। हालांकि वह मांगता नहीं। वह छांट-छांट कर भी नहीं देता। वह सिर्फ बांटता ही रहता है। और उस पर बहुत बरसता है। आकाश से बरसता है। बादलों से बरसता है। चांदत्तारों से बरसता है। परमात्मा उसे चारों तरफ से भर देता है। वह लुटाए चला जाता है; परमात्मा उसे दिए चला जाता है।
रसो वै सः परमात्मा रस रूप है। लेकिन किसको परमात्मा मिला है? जो भीतर जागा है; जिसने भीतर सारी तंद्रा और नींद तोड़ दी है; जिसने भीतर बेहोशी की सारी परतें उखाड़ फेंकी हैं; जिसने मूर्च्छा को जड़ों से उखाड़ दिया है; जिसने भीतर रोशन कर लिया अपने को; जो प्रकाशित हो गया है- उसके भीतर परमात्मा उतर आता है। रस की धार बह जाती
है।
नगेंद्र ! तुम जिस ढंग से सोच रहे हो, उसका तो अंतिम परिणाम आत्महत्या है। मैं जो कह रहा हूं, उसका अंतिम परिणाम आत्मरूपांतरण है और इसको भी तुमसे कह दूं कि आत्महत्या के क्षण में ही आत्मरूपांतरण की संभावना है, क्योंकि जब आदमी ऐसी जगह आ जाता है, जहां आगे चलने को कोई जगह नहीं रह जाती, क्रांति घटती है। नहीं तो क्रांति नहीं घटती ।
रास्ता खतम हो जाता है वहीं
इस अवसर को चूकना मत। यह अवसर है कि तुम जागो।
और प्रेम की जगह ध्यान पर दृष्टि जमाओ। प्रेम धोखा दे गया। देने ही वाला था। क्योंकि था ही नहीं। ध्यान ने कभी किसी को धोखा नहीं दिया है। आज तक नहीं दिया है। जिसने भी ध्यान की तरफ नजर उठाई - मालामाल हो गया है। सम्राट हो गया है। और मजा यह है कि उसकी संपदा में प्रेम की संपदा भी आती है।
Page 224 of 255
http://www.oshoworld.com