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ज्यों था त्यों ठहराया
तुमने एक दिन सुन लिया। अगर बात न जमती हो, अगर तुम्हें दस रुपए, पांच रुपए बहुत प्यारे लगते हों--अपने पैसे बचाओ और लुधियाना भागो वापस। यहां क्या कर रहे हो? क्यों समय खराब कर रहे हो? लेकिन ये छोटी-छोटी बातें, ये टुच्ची बातें तुम्हें भारी मूल्य की मालूम पड़ती हैं दस रुपए देने में घबड़ाते हो और परमात्मा को खोजने निकले हो! और जब मैं तुम्हारा अहंकार मांगूंगा, तो क्या करोगे! जेब खाली कर नहीं सकते और जब मैं तुमसे कहूंगा कि अपने प्राण ही खाली कर दो--कैसे कर सकोगे? ये मेरी अपनी विधियां हैं; मेरे अपने उपाय हैं। और मैं किसी बुद्धपुरुष का अनुकरण नहीं हूं। मैं अपने ढंग का आदमी हूं। और अपने ढंग से ही जीऊंगा। मुहम्मद हुसैन, तुमने कहा-- जमाना हो गया घायल तेरी सीधी निगाहों से खुदा न खासता तिरछी नजर होती तो क्या होता? पूछता हूं कि तुम घायल हए कि नहीं? जमाने को जाने दो। जमाने से क्या लेना-देना। मुहम्मद हुसैन घायल हए कि नहीं? अगर घायल हए हो, तो फिर रंग जाओ इस रंग में। और अगर घायल नहीं हए हो, तो फिर इंतजाम करूं तिरछी निगाहों का!
दूसरा प्रश्नः भगवान, मेरे गुरु स्वामी लटपटानंद ब्रह्मचारी कहा करते थे: दुग्धाहार और फलाहार का सात्विक आहार किया करो। सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर ओम का जाप किया करो। अपने पास वस्त्र केवल तीन ही रखो। और कुछ संग्रह न करो। हर स्त्री को अपनी मांबहन-बेटी की तरह देखो। और मन में बुरे विचार न आने दो। और लंगोट के पक्के रहो। लेकिन मेरे गुरु लटपटानंद जल्दी ही स्वर्गवासी हो गए और मैं अभी तक सत्य के मार्ग पर उनकी शिक्षा के अनुसार नहीं चल पाया। और अब आपकी बातें मुझे आकर्षित करती हैं। और विचित्र भी लगती हैं और एक तरह का संदेह भी मन में पैदा करती हैं कि सत्य की खोज के लिए अनुशासन चाहिए या उन्मुक्त जीवन? मेरी उम्र अभी छब्बीस वर्ष की है और गृहस्थाश्रम में प्रवेश करने का समय भी आ गया है। मैं दुविधा में हूं कि संन्यास लूं अथवा विवाह करूं? कृपया मार्गदर्शन दें।
कन्हैयालाल द्विवेदी, मथुरा निवासी हैं। सो तुम समझ सकते हो!...ये तुम्हारे गुरु लटपटानंद ब्रह्मचारी स्वर्गवासी नहीं हो सकते; नर्कवासी हए होंगे। ऐसे लटपटानंदों के लिए स्वर्ग में स्थान नहीं है। और क्या-क्या मूढता की बातें तुमसे कही हैं! दुग्धाहार--सात्विक आहार! शास्त्रों में लिखा है, सो दोहरा रहे होंगे तोतों की तरह। लेकिन दुग्धाहार सात्विक आहार नहीं है। क्योंकि दूध शरीर से निकलता है, जैसे खुन शरीर से निकलता है। इसीलिए तो दूध पीने से खून जल्दी
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