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ज्यों था त्यों ठहराया
कभी किसी के आधे बाल काट दें वे--और चले गए! दो घंटे नदारद! वह बैठा ही है आदमी। वे दो घंटे बाद लौटे कि भूल ही गए! मैंने उनसे कहा कि अगर आप इस तरह मेरे साथ व्यवहार करेंगे, तो फिर मैं भी इसी तरह व्यवहार करूंगा। मैंने कहा, यह झंझट ही मिटाओ। न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी! अरे, जब बाल बड़े होने से लड़की होने की झंझट है, तो बाल खतम ही कर दो। बस, उन्होंने फिर कभी मुझे चाटा नहीं मारा। मारा ही नहीं फिर। फिर मुझसे उन्होंने कभी कोई झंझट नहीं की। जो मैं कहूं, हां भर देते थे कि जा, जो तुझे ठीक लगे--कर। लेकिन अड़चन यह है कि नहीं कहने में एक मजा होता है। अहंकार का मजा! अब पिंकी की मां कहती है कि मुझसे क्यों नहीं पूछा? पूछे क्या बेचारी! जानती है जिंदगी भर से कि पूछने से तो हां होने वाला नहीं था। और अगर हां कहना ही था उसके पूछने पर, तो फिर उसके पूछने में एतराज क्या है! और इतनी स्वतंत्रता भी नहीं है कि कोई प्रश्न पूछ सके! यह कैसा प्रेम? यह प्रेम नहीं है, यह मोह है। यह झूठा प्रेम है। उसने कुछ गलत बात तो न पूछी थी। हृदय का भाव पूछा था। उसने पूछा था, आपके संन्यासियों में कैसे खो जाऊं? यह रंग मुझ पर भी कैसे छा जाए? क्या बुरा था। कुछ बुरी बात तो न पूछी थी। कुछ चोर न होना चाहा था। कोई डाका न डालना चाहा था। लेकिन बड़ी अड़चन है। संन्यास से लोग ज्यादा डरते हैं। लड़का शराबी हो जाए--चलेगा। जुआरी हो जाए--चलेगा। वेश्यागामी हो जाए--चलेगा। संन्यासी भर न हो! संसार में सब चलेगा; संन्यासी भर न हो! संन्यास से हम ऐसे घबड़ा गए हैं। क्योंकि संन्यास का अर्थ होता है कि यह हम से आगे जाने लगा! हम से ऊपर जाने लगा! जो हम न कर पाए, वह यह करने लगा! इससे अहंकार को बड़ी चोट पड़ती है। पति शराबी हो, जुआरी हो--पत्नी बर्दाश्त कर लेगी। सच तो यह है कि पत्नियों को मजा आएगा--पति अगर शराबी हो, जुआरी हो। क्यों? क्योंकि पत्नी ऊपर हो जाएगी। पति जब भी आएगा घर में दुम दबा कर आएगा। और पत्नी जब देखो, उसकी छाती पर चढ़ी रहेगी कि देखो, तुम शराब पीना बंद करो। कि देखो, तुम जुआ खेलना बंद करो। कि यह बात गलत है, जो तुम कर रहे हो! इसमें पत्नी धार्मिक हो जाती है, नैतिक हो जाती है। और पति बेचारा एकदम पशु की गति में हो जाता है! स्वभावतः मजा आता है अहंकार को। पति अगर संन्यस्त हो जाए, तो पत्नी के अहंकार को चोट लगती है--भारी चोट लगती है। उसका मतलब यह है कि तुम मुझसे आगे जाने की हिम्मत कर रहे हो! पत्नी संन्यस्त हो जाए, तो पति को चोट लगती है कि यह मुझसे ऊपर उठी जा रही है! हम बुरे आदमी को बर्दाश्त कर लेते हैं; अच्छे आदमी को बर्दाश्त करना और क्षमा करना बहुत कठिन है।
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