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ज्यों था त्यों ठहराया
अगर दुख हैं, तो उनका भी उपयोग करो। दुख का एक ही उपयोग किया जा सकता है--और वह यह है कि साक्षी बनो। और जितना साक्षी-भाव बढ़ेगा, उतना दुख क्षीण होता जाएगा। इधर भीतर साक्षी जगा कि रोशनी हुई, दुख कटा, अंधेरा कटा। जिस दिन तुम परम साक्षी हो जाओगे, द्रष्टा मात्र, उस दिन जीवन में कोई दुख नहीं। उस दिन जीवन परमात्मा है।
दूसरा प्रश्न: भगवान, आपने पिंकी को उत्तर दिया। उसके बाद मेरी मां ने पिंकी के दोनों हाथ पकड़ कर कहा, तूने क्यों प्रश्न भेजा? अब तो यह बात रिकार्ड हो गई; सबको पता चल गया! प्रश्न पूछने से पहले हमसे क्यों नहीं पूछा? यह कहकर उसने पिंकी के दोनों हाथ अपनी गर्दन पर रख लिए और कहा कि मेरी गर्दन दबा दे; मार डाल! पिंकी ने कहा, अगर मैं आपसे पूछती, तो आप मुझे प्रश्न पूछने भी नहीं देतीं!
संत महाराज! इस तरह का मोह ही तो सारे संसार में छाया हआ है। मां सोचती होगी कि पिंकी को प्रेम करती है बहुत। वह तो सोचती होगी कि अच्छी भावना से ही वह पिंकी को रोक रही है। लेकिन अज्ञान में अच्छी भावनाएं संभव नहीं हैं। अंग्रेजी में कहावत है कि नर्क का रास्ता शुभाकांक्षाओं से पटा पड़ा है! हम अपनी बेहोशी में अच्छा भी करने जाते हैं, तो बुरा ही होता है--अच्छा नहीं होता। और हम सब बेहोश हैं। तुम्हारी मां बेहोश है। उसने अच्छे के लिए किया होगा कि यह तूने क्या उपद्रव कर दिया! और सबके सामने प्रश्न पूछ कर बदनामी करवा दी! अब लड़का खोजना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि लड़का कहेगा, इस लड़की को तो शादी करनी नहीं है, तो क्यों झंझट में पडूं! अब तो पता चल जाएगा। यह बात तुम्हारी मां के अमृतसर पहुंचने के पहले अमृतसर पहुंच जाएगी, क्योंकि अमृतसर में तो मेरा प्रवचन रोज सुनने के लिए लोग इकट्ठे होते हैं। आज यहां बोलता हूं, कल वहां सुनने वाले तैयार हैं। यह रेकार्ड तो वहां पहुंचेगा, इसलिए मां डरी होगी कि बात रेकार्ड हो गई। यह पूरे देश में सुनी जाएगी। लड़का कहीं तो खोजने जाओगे, वहीं यह बात सुनी जाएगी। तो उसको बेचारी को पीड़ा हुई होगी कि यह मुश्किल खड़ी कर दी इसने। पूछा क्यों नहीं मुझसे पहले! अब पिंकी भी ठीक कहती है कि अगर मैं आपसे पूछती, तो आप मुझे प्रश्न पूछने ही न देती। उसकी भी मजबूरी है। इतनी स्वतंत्रता ही कहां देते हैं हम बच्चों को कि वे हमसे ईमानदार व्यवहार कर सकें। हम बड़े अजीब लोग हैं! हम चाहते हैं--बच्चे सब कुछ हमसे पूछ कर करें। बुरी चाह नहीं है। लेकिन जब पूछते हैं, तब हम उन्हें करने नहीं देते। तो हम विरोधाभास खड़ा कर रहे हैं।
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