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ज्यों था त्यों ठहराया
क्या खाक निश्चिंत सो पाओगे! इतनी बड़ी पृथ्वी है, कोई न कोई तपश्चर्या करेगा, कोई न कोई ध्यान करेगा। नींद कहां? देवता भी दुखी हैं, उतने ही जितने तुम। लेकिन न तुम्हें पता है, न उन्हें पता है। वे भी बेहोश हैं। इसलिए शास्त्र ठीक कहते हैं कि मनुष्य हुए बिना...| मनुष्य के चौराहे से तो गुजरना ही होगा। यह चौराहा है। यहां से पशु की तरफ रास्ता जाता है। यहां से मनुष्य की तरफ रास्ता जाता है। यहां से देवत्व की तरफ से रास्ता जाता है; और यहां से बुद्धत्व की तरफ भी रास्ता जाता है। मनुष्य चौराहा है। चारों रास्ते यहां मिलते हैं। अगर तुम समझो, तो जीवन एक परम सौभाग्य है। अगर तुम जागो, तो मनुष्य होने से बुद्धत्व होने की तरफ मार्ग जा रहा है; तुम उसे चुन सकते हो। लेकिन लोग शराब पीएंगे! अगर दुखी होंगे, तो शराब पीएंगे। क्यों आदमी शराब पीता है दुखी होता है तो? भुलाने के लिए। पशु हो जाएगा शराब पीकर। जो समझदार है, वह ध्यान करता है। यह ध्यान की शराब पीता है। वह समाधि की तरफ बढ़ता है। वह कहता है, ऐसे भुलाने से क्या होगा! भुलाने से दुख मिटता तो नहीं। फिर कल सुबह होश आएगा। फिर दुख वहीं के वहीं पाओगे। और बड़ा हो जाएगा। रात भर में दुख भी बड़ा हो रहा है। जब तुम सो रहे हो, तब दुख भी बड़ा हो रहा है। सुबह चिंताओं के जाल और खड़े हो जाएंगे। कल जब तुमने शराब पी थी, जितनी चिंताएं थीं, सुबह पाओगे--और ज्यादा हो गईं, क्योंकि शराब पीकर भी तुम कुछ उपद्रव करोगे न! किसी को गाली दोगे, किसी को मारोगे, किसी के घर में घुस जाओगे। किसी की स्त्री को पकड़ लोगे। कुछ न कुछ उपद्रव करोगे! सुबह तुम पाओगे--और झंझटें हो गईं! हो सकता है सुबह हवालात में पाओ अपने को; कि किसी नाली में पड़ा हुआ पाओ। कुत्ता मुंह चाट रहा हो! कि जीवन-जल छिड़का रहा हो। और झंझटें हो गईं! सुबह घर पहुंचोगे, तो पत्नी खड़ी है--मूसल लिए हुए! इससे निपटो! दफ्तर जाओगे, वहां झंझटें खड़ी होंगी। हजार भूल-चूकें होंगी। क्योंकि नशा सरकते-सरकते उतरता है। थोड़ी-सी छाया बनी ही रहती है। कुछ का कुछ हो जाएगा। कुछ का कुछ बोल जाओगे। कुछ का कुछ कर गुजरोगे। और चिंताएं बढ़ जाएंगी और दुख बढ़ जाएंगे। कल मुश्किल थी...। और हो सकता है कि जेब ही कट जाए! बीमारियां थीं और बीमार हो जाओगे! जिंदगी वैसे ही उलझी हुई थी, शराब से सुलझ नहीं जाएगी। गालियां दे दोगे। झगड़े कर लोगे। कुट जाओगे, पिट जाओगे। किसी को पीट दोगे, छुरा मार दोगे--पता नहीं बेहोशी में क्या कर गुजरोगे! इतना तय है कि चिंताएं कम नहीं होंगी; बढ़ जाएंगी। संताप गहन हो जाएगा। फिर और शराब पीना--इसको भुलाने के लिए! अब तुम पड़े दुष्ट-चक्र में। एक ही उपाय है--जागो, होश से भरो।
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