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ज्यों था त्यों ठहराया
शिकवा बेसूद, शिकायत से भला क्या हासिल । जिंदगी है तो बहरहाल बसर भी होगी। इसी उम्मीद पे मजलूम जिए जाता है।
पर्देए-शब से नमुदार सहर भी होगी । ।
तो
उम्मीद रखो। ऐसे हार नहीं जाते। पर्देए-शब से नमुदार सहर भी होगी। अगर रात है, सुबह भी होगी।
चाहता हूं तेरा दीदार मयस्सर हो जाए।
सोचता हूं कि मुझे ताबे - नजर भी होगी ? फिक्र न करो अगर उसके दीदार का भाव उठा, अगर उस ज्योति के दर्शन की आकांक्षा उठी है--कोई फिक्र न करो सोचता हूं कि मुझे ताबे नजर भी होगी देखने की शक्ति भी होगी, तभी तो यह आकांक्षा जगी है।
प्यास तभी उठती है, जब जल मौजूद हो अगर दुनिया में जल न होता, तो प्यास भी न होती। और अगर भोजन न होता, तो भूख भी न होती। भूख के पहले भोजन है। प्यास के पहले पानी है।
तुमने देखा, मां के पेट में बच्चा आता है, और जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है, मां के स्तन धीरे-धीरे दूध से भरने लगते हैं। जब तक बच्चा नहीं आता, तब तक मां के स्तन में दूध नहीं आता। लेकिन बच्चे के जन्मे पहले दूध आ जाता है। इधर बच्चा जन्मा--दूध आ चुका होता है। दूध प्रतीक्षा करता है भूख के पहले भोजन है!
पर्देए-शब से नमुदार सहर भी होगी ।। चाहता हूं तेरा दीदार मयस्सर हो जाए। सोचता हूं कि मुझे ताबे - नजर भी होगी ? यादे एय्यामे-गुलिस्तां को भुला रक्खा था। क्या खबर थी ये खालिश बारे जिगर भी होगी। हाए इंसान, दरिंदों से हैं बढ़कर वहशी ।
क्या किसी दौर में तकमीले बशर भी होगी ।। मुतमुइन हूं मैं बहुत चश्मेतवज्जोह से तेरी । इक न इक रोज उधर से ये इधर भी होगी ।।
मैं जानता हूं कि तेरी नजर में करुणा है मैं तेरी करुणा को पहचानता हूं। नहीं तो जीवन कौन देता! इस जीवन को इतने फूलों से कौन भरता ! इस जीवन को प्रभु पाने की आकांक्षा से कौन भरता !
इतनी गहराई से हमारे भीतर प्रभु को पाने की आकांक्षा भरी है। सिवाय परमात्मा की अनुकंपा के और कोई कारण नहीं है उसे हम पाना चाहते हैं, क्योंकि उसने बीज रख छोड़ा है हमारे भीतर प्यास का
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