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जुगत करो जोगेश्वर
चरण पड़ी दासी तोरी
भाव-भक्ति दो अविनाशी
ताकि मैं-
आपके स्तुति गान जन्मों-जन्मों तक
गाती रहूं, गाती रहूं, गाती रहूं!
ज्यों था त्यों ठहराया
योग मंजु !
अहमक अहमदाबादी यानी अहंकार अहंकार एक भ्रांति है, इसलिए छूटना एक अर्थ में कठिन, दूसरे अर्थ में बड़ा सरल। जरा-सी समझने की बात है। अगर अहंकार से छूटने की कोशिश की, तो फिर मुश्किल हो जाएगी, क्योंकि जो नहीं है, उसे कैसे छोड़ोगी जो नहीं है, उससे कैसे लडोगी? जो नहीं है, उससे कैसे भागोगी?
जो है ही नहीं, उसे छोड़ने के प्रयास में ही भ्रांति हो जाएगी, भूल हो जाएगी। जो नहीं है, उसे जानना ही पर्याप्त है कि नहीं है । छोड़ने की जरूरत नहीं उठती । छोड़ने का तो अर्थ हुआ-मान लिया कि है।
अहंकार से बहुत लोग छूटने की चेष्टा करते हैं; उसी चेष्टा में अटक जाते हैं। अहंकार नहीं अटका रहा छूटने की चेष्टा अटका रही है। जैसे कोई अंधकार से लड़े जीतेगा क्या? लाख करे उपाय। और कितना ही बलवान हो--हारेगा--सुनिश्चित हारेगा। और जब बार-बार हारेगा, तो स्वभावतः सोचेगा कितना असहाय हूं। कितना बेवशा! कितना शक्तिहीना!
तर्क कहेगा : हारते हो, क्योंकि अंधकार सबल है। और हारते इसलिए नहीं हो कि अंधकार सबल है। हारते इसलिए हो कि अंधकार है नहीं। जो नहीं है, उससे लड़ोगे, तो हारोगे ही-मिटोगे ही टूटोगे ही। अहंकार होता, तो जीत भी संभव थी।
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अहंकार स्वामी बना बैठा है ऐसा तुझे समझ आया मंजु ! यह समझ न हुई। अगर अहंकार स्वामी बना बैठा है - ऐसा समझ में आया, तो फिर एक चेष्टा उठेगी कि कैसे मैं अहंकार को दबा कर उसकी मालकिन बन जाऊं। संघर्ष शुरू होगा। और संघर्ष में पराजय है।
और यह बहुत आधारभूत बात है, जो खयाल में रखना । कभी अभाव से मत लड़ना, नहीं तो जिंदगी यूं ही व्यर्थ हो जाएगी और इसलिए फिर लीला विचित्र मालूम होगी। क्योंकि इधर से हटाया - हटा भी नहीं पाए कि वह दूसरे द्वार से प्रवेश कर जाएगा। फिर लगेगा कि बड़ी सूक्ष्म है यह प्रक्रिया ! जितना छूटने की चेष्टा- उतना उलझाव सघन होता जाएगा।
जो नहीं है उसे जानना काफी है। इसलिए मेरा त्याग पर जोर नहीं है। त्याग का अर्थ है-छोड़ना मेरा जोर है--बोध पर जागना भागना नहीं जो भागा, वह मुश्किल में पड़ेगा। जिससे भागा वही उसका पीछा करेगा ! छाया तुम्हारे पीछे ही जाएगी। कुछ होती - तुम भागते, तो छूट जाती मगर कुछ है नहीं तुम जितनी तेजी से भागोगे, छाया भी उतनी ही तेजी से भागेगी। और तब घबड़ाहट व्याप्त हो जाएगी कि हे प्रभु, अब क्या होगा! कितना
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