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ज्यों था त्यों ठहराया
इसका मतलब पत्नी से ज्यादा कीमती किताब है। फेंक देगी किताब ! आग लगा देगी किताब
में। टेप बंद कर देगी। उस पर ध्यान दो!
हर पत्नी की चौबीस घंटे चेष्टा है- मेरी तरफ देखो! कितना सजती संवरती है। कितना दर्पण में देखती है अपने चेहरे को और पति हैं कि देखते ही नहीं । वे अखबार पढ़ रहे हैं! अखबार वे बेचारे इसीलिए पढ़ रहे हैं! उसी अखबार को छह दफा पढ़ चुके हैं। फिर भी पढ़े जा रहे हैं! वे अखबार सिर्फ आंखों को छिपाने के लिए पढ़ रहे हैं कि किसी तरह यह पत्नी न दिखाई पड़े! और पत्नी है कि वह वहीं वहीं घूंघर करती है। फिर आ जाएगी। कभी चाय लेकर आ जाएगी। कभी कुछ और बहाने आ जाएगी। फिर अखबार ही छीन लेगी कि क्या आंखें फोड़ लोगे अपनी बैठे-बैठे! बंद करो यह अखबार और मेरी मौजूदगी में शर्म नहीं आती। संकोच नहीं
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होता लाज-लज्जा नहीं शिष्टाचार भी नहीं!
विवाह
आरंभ जिसका
पद्य में
और उपसंहार
गद्य में
चंदूलाल ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे
हे ईश्वर
हमें भी
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दु देते
मौका आता
दुम दबाकर
भाग तो लेते!
- विशारदा पत्नी जी
नृत्य- 1
पति पर इतना तरस खाती हैं
कि उन्हें दिन-रात
अंगुली पर नचाती है!
एक स्त्री की अंगुली कट गई कार में, एक एक्सिडेंट में उसने बीस हजार रुपए इंश्योरेंस कंपनी से मांगे। इंश्योरेंस कंपनी भी हैरान हुई कि एक अंगुली कटने के बीस हजार रुपए। अदालत में मुकदमा चला। मजिस्ट्रेट ने पूछा कि इस अंगुली में ऐसा क्या गुण था कि बीस हजार रुपए!
उसने कहा, इसी पर मैं अपने पति को नचाया करती थी। क्या तुम मेरे पति की कीमत बीस हजार भी नहीं मानते। अब मैं कहां नचाऊंगी?
प्रेम के चक्कर में फंसी बेटी को देखकर मां ने उसे लाख समझाना चाहा, पर वह न मानी । हारकर मां ने अनुभव की बात कह दी, बेटी, यह नायक से शादी करने का चक्कर ठीक
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