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ज्यों था त्यों ठहराया
हू है भी अल्लाहू का ही हिस्सा। यह सूफियों का मंत्र है। अल्लाहू-अल्लाहू करते-करते हू-हू बचता है। तो मैंने कहा--अल्ला क्या करना है। जो चला ही जाता है, उसको छोड़ ही दो। हू ही बचा लो। जो बचने वाला है, उसको पहले ही से बचा लो। जो जाने वाला है, उसको जाने ही दो! और वे लोग घबड़ाए होंगे कि अल्लाहू-अल्लाहू की आवाज और हू-हू की आवाज मुरदे अगर सुन लें, तो समझें कि आ गया कयामत का दिन! क्योंकि उस वक्त आवाज होगी बड़े जोर से--अल्लाहू की! अल्लाहो अकबर--एकदम आवाज उठेगी और मुरदे कब्रों से उठ आएंगे। और ये दुष्ट अभी उठाए दे रहे हैं। फिर मुर्दे उठ आएं--उनको सुलाओगे कैसे? और मर्दे उठ आएंगे, तो मुहल्ले वालों को, गांव वालों को, अपने रिश्तेदारों को ही सताएंगे और किसको सताएंगे! उनका भी कहना जायज है। तो तुम कम से कम इतना करो। जब मुरदे जग जाते हैं, तो मुहल्ले वाले कितने ही सोए हों, एकदम हू-हू की पुकार मचा दोगे--एक ही दफे में पत्नी शांत हो जाएगी। एकदम कहेगी कि लल्लू के पप्पा!...चरणों पर गिरेगी कि अब शांत हो जाओ! सारा मुहल्ला इकट्ठा हो गया! और मेरी बदनामी न करवाओ। यह लो किताब--पढ़ो। कम से कम चुप तो रहते हो! जब भी किताब छीने--हू-हू करो। टेप बंद करे--हू-हू करो। यह सौ मंत्रों का एक मंत्र है! सौ सुनार की एक लुहार की!
आखिरी प्रश्नः भगवान, आप इस बार मारवाड़ियों के संबंध में क्यों कुछ नहीं कह रहे हैं! और मैं ठेठ मारवाड़ से इसीलिए आया हूं! सुभाष कोठारी! तुम भी धन्य हो! मारवाड़ में होकर मारवाड़ियों के दुश्मन हो--क्या बात है? चलो, अब इतनी दूर से आए हो, तो मुझे भी तुम्हारी लाज रखनी पड़े अन्यथा इस बार मैं मारवाड़ियों को छोड़ ही रहा था। कभी-कभी छोड़ देता हूं, तो मारवाड़ी निश्चिंत हो जाते हैं। फिर आने लगते हैं। फिर उनकी पिटाई कर देता हूं; फिर भाग जाते हैं। फिर महीने दो महीने शांत रहता हूं, तो फिर आ जाते हैं। कभी पंजाबियों की पिटाई, कभी बंगालियों की पिटाई! मतलब पिटाई मुझे करनी है--किसी न किसी की होगी। सेठ चंदूलाल मारवाड़ी अपने मित्र मुल्ला नसरुद्दीन से कह रहे थे कि मेरे लड़के ने तो कमाल कर दिया! मैंने उससे कहा कि एक बार में दो सीढ़ियां चढ़ा-उतरा करो, ताकि जूता कम घिसे। मगर उस नालायक ने कल छह सीढ़ियां एक बार में साथ उतरी! नसरुद्दीन बोला, तब तो जूता और कम घिसेगा! चंदूलाल रोते स्वरों में बोला, जूता तो कम घिसा। मगर उस उल्ले के पट्टे ने अपनी नई पैंट फाड़ ली! गुरु तो गुड़ रहे, चेला शक्कर हो गए! बेटा बाप से आगे निकल गया। उसने कहा, जब जूते ही घिसना बचाना है...!
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