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ज्यों था त्यों ठहराया
आना--कि मार्गदर्शन ले लूं! वह क्या कहती है! क्योंकि मार्गदर्शन पर चलने कहां देगी! जो किताब नहीं पढ़ने देती; जो टेप नहीं सुनने देती; जो ध्यान नहीं करने देती--वह मार्गदर्शन पर चले कैसे देगी! भैया, बेहतर हो, तुम उसे यहां ले आओ। किसी भी बहाने ले आओ। महाबलेश्वर घुमाने ले जा रहे हो, शायद आ जाए! कि पूना में साड़ियों का बहुत अच्छा स्टाक आया हुआ है--शायद आ जाए! उसको किसी बहाने यहां ले आओ, तो शायद कुछ बात बन सके, तो बन सके। मुल्ला नसरुद्दीन ने अपनी पत्नी की कब्र पर यह इबारत लिखवाई: मेरी पत्नी गुलजान यहां सुख की नींद सो रही है। मुझे सुखी रखने की उसने पूरी उम्र कोशिश की, और आखिर मर कर अपनी कोशिश में पूरी तरह कामयाब हो गई! तुम्हारी पत्नी तुम्हें सुखी रखने की पूरी कोशिश कर रही है। उससे ज्यादा प्रेम तुम्हें कोई नहीं करता! सर्वाधिक प्रेम वही करती है! वह तुम्हारी गर्दन को दबाए जाएगी, क्योंकि प्रेम वह करती है, तो गर्दन किसी और को दबाने देगी! जरा साहस करो--मार्गदर्शन क्या मांगते हो! किताब पत्नी फेंक सकती है, तुम बैठे देखते रहते हो! हद्द हो गई! तुमसे कुछ नहीं बनता! अरे, खड़े हो कर कम से कम कुंडलिनी करो! हु-ह की पुकार मचा दो, कि मोहल्ला इकट्ठा हो जाए। फिर नहीं फेंकेगी किताब। फिर हाथ जोड़ कर खड़ी हो जाएगी कि कम से कम यह हू-हू न करो! किताब ही पढ़ो। कुछ उपद्रव करो। अब मैंने तो कैसे-कैसे तुम्हें ध्यान दिए हैं--हू-ह! कि एक दफा कर दो कि पूरा मुहल्ला अपने आप इकट्ठा हो जाए! अरे, मुहल्ला ही नहीं...! मेरे एक मित्र ने खबर की है कि इंदौर में--इंदौर का केंद्र जहां है, उसके पास ही मुसलमानों की मरघट है। और वे ह-ह की आवाज करें। मुसलमानों में खबर च गई कि वे लोग जो हैं हू-हू कर के मुरदों को जगा रहे हैं! बड़ी घबड़ाहट फैल गई। हिंदू-मुस्लिम दंगे होने की नौबत आ गई। उन्होंने कहा कि हम हु-ह नहीं करने देंगे। और तुम कुछ भी करो! मुसलमानों में बड़ा सन्नाटा और घबड़ाहट का सिलसिला हो गया। और उन्होंने कहा, या फिर तुम केंद्र कहीं और ले जाओ। पर, उन्होंने पूछा, बात क्या है? तुम्हें हू-हू से तकलीफ क्या है! क्योंकि गांव दूर। इसीलिए तो हमने गांव के बाहर यह जगह ली है! अरे, उन्होंने कहा, गांव तो दूर है, मगर हमारा मरघट करीब है। और मुरदे किसी तरह तो सो गए हैं। तुम उनको जगा दोगे! और मुरदों को जगाना हम बर्दाश्त नहीं कर सकते। वे तो जगाए जाएंगे आखिरी दिन, कयामत के दिन। और तुम अभी जगाए दे रहे हो! और हम किसी तरह तो उनसे छुटकारा पाए हैं। और भूत-प्रेत उठ आएं--यह नहीं चलेगा! उनको हटाना पड़ा वहां से केंद्र, क्योंकि मामला अदालत तक पहुंच गया। मुसलमानों ने कहा कि यह ह-ह मंत्र खतरनाक है। इनको करना हो, तो कहीं और करें। यह तो अल्लाह का ही हिस्सा है--हू!
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