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ज्यों था त्यों ठहराया
बिलकुल नंग-धडंग! मगर टोपी लगाए हए! अब एकदम लौट भी नहीं सकते थे वे लोग। और मुल्ला को भी तो कहना ही पड़ा कि आइए-आइए; पधारिए-पधारिए! तो बेचारे अंदर आ गए। पत्नी किसी तरह अपने पति के पीछे छिपी हुई खड़ी, कि अब यह करना क्या है! मुल्ला बोला, बैठिए-बैठिए! अब एक ही कुर्सी पर पति-पत्नी कैसे बैठे! और पत्नी को लग रहा बड़ा संकोच कि यह अपनी नंगा खड़ा है। आखिर पति से भी न रहा गया। पति ने कहा कि आप नंगे क्यों हैं? क्या बात है? तो मुल्ला ने कहा, सच बात यह है कि इस समय मुझसे कोई मिलने कभी आता ही नहीं। गरमी के दिन हैं और पसीने से तरबतर होने में सार क्या! और अपना घर। अपने ही घर में नंगा न हो सकू, तो फिर अपना घर क्या! कोई बाजार में तो नंगा नहीं हूं। दरवाजा बंद कर के नंगा हूं। तब फिर पत्नी से न रहा गया। पत्नी ने भी जरा मुंह बगल से निकाल कर पूछा, और सब तो ठीक है। चलो नंगे हो, क्योंकि गर्मी है। मगर टोपी किसलिए लगाए हो? तो मुल्ला ने कहा, अरे, कभी कोई भूलचूक से आ जाए, जैसे आप आ गए, तो कम कम टोपी तो लगाए रहूं! अब महावीर पर तुम टोपी रख देते, या रूमाल बांध देते, तो ऐसा ही लगता! बिलकुल गड़बड़ लगता मामला! और महावीर तो रखने भी नहीं देते। मैं तो इस अर्थ में सरल आदमी हूं। चलो, टोपी, तो टोपी रख ली। कोई बात नहीं। चलो, रूमाल बांधा, तो रूमाल बांध लिया। मगर अगर तुम बिना रूमाल के मुझे स्वर्ण-मंदिर में नहीं जाने दे सकते, तो तुम फिर उन पुजारियों के संबंध में क्या कहोगे, जिन्होंने नानक से कहा कि आप पैर कर के सो रहे हैं काबा के पवित्र पत्थर की तरफ। शर्म नहीं आती! संत होकर, साधु होकर, फकीर होकर...! तुम भी वही कर रहे हो। और मैंने कोई इतना बड़ा कसूर नहीं किया। नानक का कसूर बड़ा था। लेकिन नानक ने क्या कहा उन पुजारियों से कि फिर तुम मेरे पैर उस तरफ कर दो, जहां परमात्मा न हो। मैं तो सभी जगह परमात्मा को देखता हूं। कहीं तो पैर कर के सोऊंगा! चूंकि वह सभी जगह है, इसलिए अब उसका अपमान-सम्मान क्या! और पैर में भी वही है; चारों तरफ भी वही है। मुझमें भी वही है, और तुममें भी वही है। तो कहीं तो पैर कर के सोऊंगा! जमीन पर भी पैर रख कर चलूंगा, तो वह भी परमात्मा ही है। उस पर भी पैर रखना परमात्मा पर ही पैर रखना है। उनसे उत्तर न देते बन पड़ा। चुपचाप खड़े रह गए। मैंने कहा, थोड़ा सोचना। मैं नानक के साथ हूं या तुम नानक के साथ हो। अगर मैं अंदर जा कर तुम्हारे गुरु-ग्रंथ साहब के प्रति पैर कर के लेट जाऊं, तो तुम क्या करोगे? तुम तो बिलकुल पागल हो जाओगे। तुम तो एकदम दीवाने हो उठोगे कि अपमान हो गया। तुम तो सिर पर भी रूमाल रख कर प्रसन्न हो रहे हो! माटी के खिलौने से बहल जाते हैं लोग!
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