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ज्यों था त्यों ठहराया
ले। ऐसे उन्होंने तीन साल गुजार दिए। मगर सौभाग्य ही समझो कि उनको हृदय का दौरा पड़ गया। अब वे एकदम आ रहे हैं। तो मैं भी आ पा रही हूं। बस, चुपचाप बैठना है आपके पास। यह अवसर न चूक जाए। मौन ही एकमात्र भाषा है, जिसमें सत्य प्रवाहित होता है। ये शब्द तो मैं इसलिए उपयोग कर रहा हूं कि तुम मौन के लिए धीरे-धीरे तैयार हो जाओ। जो तैयार हो गए हैं, उन्हें मेरे इन शब्दों में शून्य का ही संगीत सुनाई पड़ता है। जो नहीं अभी तैयार हुए हैं, वे इन शब्दों में तर्क देखते हैं, शास्त्र देखते हैं, विचार देखते हैं--और न मालूम क्या-क्या देखते हैं! वे अपने को ही इन शब्दों पर थोपते चले जाते हैं। खाली हाथ आई, तो अच्छी आई। भरे हाथ आता है जो, वह फिर मुझे नहीं पहचान पाएगा। इससे बढ़ कर और क्या हो कमनिगाही की दलील उम्र भर तुम साथ रह कर भी न पहचाने गए फिर वह उम्र भर भी साथ रहे, तो भी कमनिगाह है, अंधा है; वह देख नहीं पाएगा। और मौन होने के लिए साहस चाहिए। खाली हाथ आने के लिए साहस चाहिए। आशिकी उनकी है वाकफ हौसलेवालों का काम अरे आप उस कूचे में नाहक ठोकरें खाने गए जो खाली हाथ आने को तैयार है, जो आंखों में आंसू लिए हुए आने को तैयार है और जो स्वीकार करने को तैयार है कि मेरे पास लाने को कुछ भी नहीं; कोई संपदा नहीं--न बाहर की, न भीतर की--ऐसी स्वीकृति हौसले वाले का काम है। और जो इस हौसले के बिना आ गए हैं--अरे, आप उस कूचे में नाहक ठोकरें खाने गए! वे इस मेरी दुनिया में नाहक ही ठोकरें खाने आ गए। वे थोड़े कुटेंगे-पिटेंगे और अपने घर लौट जाएंगे। और खाली हाथ ही जाएंगे। लाख इरादे उन्होंने किए हों, इससे फर्क नहीं पड़ता। दूर से आए थे साकी, सुन के मयखाने को हम बस तरसते ही चले, अफसोस पैमाने को हम।। मय भी है, मीना भी है, सागर भी है, साकी नहीं। दिल में आता है, लगा दें आग मयखाने को हम।। गुस्सा आएगा उन्हें। क्रोध आएगा। मुझ पर बहुत लोग नाराज हैं। आग लगा देना चाहेंगे मेरे इस कम्यून को। बहुत लोगों की यह इच्छा है! कारण क्या है उनकी नाराजगी का? वे गलत ढंग से आते हैं, तो पहचान नहीं पाते; तो गुस्सा आता है कि आना-जाना बेकार हुआ। जो ठीक ढंग से आते हैं, शून्य आते हैं, मौन आते हैं--जो आने के लिए आते हैं; जिन्हें यह भी पता नहीं किसलिए--क्यों--अहेतुक, बिना किसी कारण के आते हैं, अकारण आते हैं। दीवानगी चाहिए। और तू पागल है वीणा! तू दीवानी है। जिस तरफ देखा दीवानगी में तेरे दीवाने गए लाख अपने को छपाया फिर भी पहचाने गए!
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