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ज्यों था त्यों ठहराया
जब पत्नी ने पति को चांटा रसीद कर दिया, तो पति बिलकुल खड़ा ही रह गया। झुम्मन अपने बाप से बोला, पिताजी, बिलकुल आप जैसा है। चंदूलाल ने कहा, चुप रह थे बेवक्त बातें नहीं करते। खेल देख घर में यही चल रहा है।
एक सेल्समेन दरवाजा खटखटा रहा था। कोई दरवाजा नहीं खोल रहा था। तभी खिड़की से एक आदमी बाहर आ कर गिरा धडाम से खिड़की से ही आया था सो उसने पूछा कि में घर का मालिक है या नहीं? आपको तो पता ही होगा,
भैया, क्या बता सकते हो कि घर भीतर से ही आ रहे हो!
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उसने कहा कि है घर का मालिक भीतर ही है। अभी यही तो तय हुआ कि घर का मालिक कौन है हम नहीं हैं, इतना तो पक्का हो गया। घर का मालिक भीतर है इसलिए तो हिंदुस्तान में पत्नी को घरवाली कहते हैं पति को घरवाला नहीं कहते घर खरीदे पति और
घरवाली पत्नी । पति तो खिड़की से फेंक दिए जाते हैं!
मुल्ला नसरुद्दीन से मैंने पूछा कि घर के हालात कैसे चल रहे हैं? सब ठीक-ठाक ? उन्होंने कहा, बिलकुल ठीक-ठीक फिफ्टी-फिफ्टी!
मैंने कहा,
मतलब !
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उन्होंने कहा कि पत्नी चीजें फेंक- फेंक कर मारती है। जब मुझे चोट लग जाती है, तो वह खुश होती है। यानी फिफ्टी! जब नहीं लगती, तो मैं खुश होता हूं--यानी फिफ्टी फिफ्टीफिफ्टी चल रहा है और अभी कल ही निपटारा हो गया है, फिफ्टी-फिफ्टी वह भी उसने घर का भीतरी हिस्सा सम्हाल लिया है मैंने घर का बाहरी अब हम बाहर ही रह रहे हैं! मगर शांति बड़ी चीज है।
ये मां-बाप तुम्हें क्या सिखाएंगे! कैसे सिखाएंगे? इनका जीवन कुछ और है ये बातें कुछ और कर रहे हैं। ये शिक्षक तुम्हें कैसे सिखाएंगे ये पंडित पुरोहित तुम्हें क्या सिखाएंगे? मनुष्य जाति पाखंड में जीई है। और इसलिए चूंकि मेरा संन्यासी प्रामाणिक रूप से जीना चाहता है और प्रामाणिक का मेरे लिए अर्थ शास्त्र सम्मत रूप से नहीं प्रामाणिक का अर्थ है- अपने बोध से और यह बोध उसका निजी होगा, स्वतंत्र होगा यह किसी के द्वारा आरोपित नहीं होगा। इसलिए मेरे संन्यासी का विरोध होने ही वाला है इसमें कुछ आश्चर्यचकित करने वाली बात नहीं है।
अगर तुम प्रामाणिक होकर जीओगे, तो पाखंडी समाज में तुम्हारा विरोध होगा ही। क्योंकि तुम उन सबके पाखंड के लिए एक प्रश्नचिह्न बन जाओगे ।
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मैं कहता हूं कि जैसा सत्य तुम्हारे भीतर हो, वैसा ही जीना है। उससे अन्यथा जीने की कोई जरूरत नहीं है। मुखौटे लगाने की कोई जरूरत नहीं है। फिर चाहे अपमान मिले तो अपमान | फिर चाहे नर्क भी जाना पड़े, तो तैयार रहना; कोई फिक्र मत करना । मेरी अपनी प्रतीति यह है कि जो प्रामाणिक रूप से जीता है, वह नर्क को भी स्वर्ग बना लेगा और जो पाखंडी है, वह अगर स्वर्ग भी चला गया, तो वह भी नर्क हो जाएगा।
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