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ज्यों था त्यों ठहराया
लगा--कि मुझे ही भर नहीं दिखाई पड़ रहा है! अब बेहतर यही है कि चुप रहो। इस संबंध में कि कहना कि मुझे नहीं दिखाई पड़ रही, क्यों अपनी बदनामी करनी! क्यों मरे बाप को बदनाम करना! मरी मां को बदनाम करना! सारी प्रतिष्ठा खो जाएगी। दरबार भी खो जाएगा। दरबार से निकाल बाहर किया जाऊंगा। फिर कमीज भी उतर गई। बनियान भी उतर गई। धोती भी उतर गई। अब सम्राट खड़ा है-- सिर्फ अपने लंगोटी बांधे हुए! और क्या प्रशंसा हो रही है वस्त्रों की! और जब उसने कहा कि महाराज, लंगोटी भी दे दें! तब तो उसे बहुत घबड़ाहट हुई। पसीना भी आने लगा। मगर अब करे क्या! अब मजबूरी थी। लंगोटी भी गई! उसने पेटी में सब बंद कर लिया और कहा कि कुछ भेंट मिल जाए।...और देवताओं ने कहा कि पहली बार पृथ्वी पर ये वस्त्र जा रहे हैं। ऐसा कभी हआ नहीं। फिर कभी होगा नहीं। यह अभूतपूर्व घटना है। इसलिए जुलूस निकलना चाहिए। रथ तैयार किया जाए! और जनता बाहर इकट्ठी है और गांव भर में राजधानी में खबर पहुंच गई। दूर-दूर से लोग आ गए थे। राजधानी के राजपथ के दोनों तरफ करोड़ों लोग खड़े थे प्रतीक्षा में कि सम्राट बाहर आएं। आवाजें आ रही थीं कि सम्राट के दर्शन करने हैं! कौन नहीं देखना चाहता देवताओं के वस्त्र! और वह चालबाज आदमी रथ पर चढ़ कर कुंडी पीटता गया कि ये वस्त्र उन्हीं को दिखाई पड़ेंगे, जो अपने बाप से पैदा हुए हैं। निश्चित ही सभी अपने बाप से पैदा हुए हैं। सबको वस्त्र दिखाई पड़े। और क्या तालियां पिटीं! और सब देख रहे कि सम्राट बिलकुल नंगा बैठा है। ठंड के दिन हैं; ठिठुर रहा है। दांत बज रहे हैं! मगर यह शोभा-यात्रा चल रही है! मगर सब प्रशंसा कर रहे हैं। सिर्फ एक छोटा-सा बच्चा अपने बाप के कंधे पर बैठ कर आ गया था देखने। उसने अपने बाप से कहा कि दद्दू! सम्राट बिलकुल नंगा है! उसके बाप ने कहा, चुप नालायक! उल्लू के पढ़े! बिलकुल चुप। मगर बेटा बोला, चुप कैसे रहूं? और हैरानी मुझे इससे भी हो रही है कि सब लोग वस्त्रों की प्रशंसा कर रहे हैं। वस्त्र तो मुझे दिखाई नहीं पड़ते। आपको दिखाई पड़ते हैं? उसने कहा, हां, दिखाई पड़ते हैं? क्या सुंदर वस्त्र हैं। तुझको भी दिखाई पड़ेंगे, जरा उम्र बड़ी होनी चाहिए। अभी तू नालायक है, इसलिए नहीं दिखाई पड़ते। अभी तू बच्चा है! सिर्फ एक बच्चे ने कहा था उस भीड़ में कि सम्राट नंगा है। बच्चों के पास आंख होती है, क्योंकि अभी धोखाधड़ी नहीं सीखे; राजनीति नहीं सीखे; चालबाजी नहीं सीखे; गणित नहीं सीखे जिंदगी का। जिंदगी का गणित धोखे का गणित है। रात तारों से बच के चलता हूं गुमगुसारों से बच के चलता हूं मुझको धोखा दिया सहारों ने अब सहारों से बच के चलता है
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