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* अन्तिम कारण-परमाणु को पौद्गलिक पदार्थों का अन्तिम कारण माना गया है। अन्तिम कारण वह होता है, जिसके बिना कार्य होता ही नहीं है। छोटे-बड़े सभी स्कन्ध परमाणुओं के मिलने से ही बनते हैं। परन्तु परमाणु किसी से नहीं बनता अतः वह अन्तिम कारण है।
* सूक्ष्म-परमाणु सर्वाधिक सूक्ष्म है। इससे सूक्ष्म कुछ भी नहीं है। अतः यह अछेद्य, अभेद्य, अग्राह्य, अदाह्य और निर्विभागी पुद्गल खण्ड है। ऐसे सूक्ष्म परमाणु को हवा उड़ा नहीं सकती, पानी बहा नहीं सकता और अग्नि जला नहीं सकती।
* नित्य-परमाणु नित्य है। वह सदा परमाणु था, परमाणु है और परमाणु रहेगा। . * रस, गंध, वर्ण और स्पर्श-परमाणु में एक रस, एक गन्ध, एक वर्ण और दो स्पर्श होते हैं। ___* कार्यलिंग-परमाणु के अस्तित्व का अनुमान उसके कार्य से किया जा सकता है। परमाणु को इन्द्रियों के द्वारा नहीं जाना जा सकता। परमाणु का स्वरूप
द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव की दृष्टि से परमाणु को इस प्रकार समझा जा सकता है
द्रव्य की दृष्टि से-परमाणु पुद्गलास्तिकाय द्रव्य है। इसमें गुण और पर्याय दोनों होते हैं। संख्या की दृष्टि से परमाणु अनन्त
क्षेत्र की दृष्टि से-क्षेत्र की दृष्टि से एक परमाणु आकाश के एक प्रदेश का अवगाहन करता है, एक से अधिक प्रदेशों का अवगाहन नहीं कर सकता।