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3. तनाव
हिंसा का एक बहुत बड़ा कारण है-तनाव। वही व्यक्ति हिंसा करता है, जो तनाव से ज्यादा ग्रस्त होता है। शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक के भेद से तनाव के तीन प्रकार हैं। भावनात्मक तनाव आवेशजन्य और अवसादजन्य होता है। क्रोध, मान, माया, लोभ से होने वाला तनाव आवेशजन्य तनाव है। निराशा, निष्क्रियता
और निठल्लापन आदि अवसादजन्य तनाव हैं। ये दोनों प्रकार के तनाव व्यक्ति को हिंसा की ओर ले जाते हैं। 4. निषेधात्मक भाव
हिंसा का एक बहुत बड़ा कारण है-निषेधात्मक भाव। घृणा, ईर्ष्या, भय, कामवासना-ये सब निषेधात्मक भाव हैं। इनके वशीभूत होकर भी व्यक्ति हिंसा करता है। आज जाति, रंग आदि के आधार पर जो हिंसा हो रही है, उसके पीछे घृणा का भाव ही प्रबल है। 5. रासायनिक असंतुलन
हिंसा का एक बड़ा कारक तत्त्व है-रासायनिक असंतुलन। हिंसा केवल बाहरी कारणों से ही नहीं होती, इसके भीतरी कारण भी हैं और वह है-रासायनिक असंतुलन। हमारी ग्रंथियों में रसायन बनते हैं। वे संतुलित अवस्था में होने पर जीवन में संतुलन स्थापित रहता है किन्तु इन रसायनों में असंतुलन होने पर व्यक्ति का मस्तिष्क विक्षिप्त हो जाता है और उसके भीतर हिंसा की वृत्तियां जाग जाती
6. नाड़ीतंत्रीय असंतुलन
नाड़ीतंत्रीय असंतुलन भी हिंसा का एक कारण है। नाड़ीतंत्रीय असंतुलन होने पर व्यक्ति अकारण ही हिंसा करने लगता है। मारने का कोई प्रयोजन नहीं होता और न ही कोई बदला लेने की भावना