Book Title: Jain Tattva Mimansa Aur Aachar Mimansa
Author(s): Rujupragyashreeji MS
Publisher: Jain Vishvabharati Vidyalay

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Page 229
________________ 220 3. मैं अपने कर्त्तव्य-पालन में जान-बूझकर विलम्ब या अन्याय . नहीं करूंगा। 4. मैं मादक और नशीले पदार्थों को सेवन नहीं करूंगा। 4. श्रमिक अणुव्रत 1. मैं अपने कार्य में प्रामाणिकता रदूंगा। 2. मैं हिंसात्मक उपद्रवों एवं तोड़फोड़-मूलक प्रवृत्तियों में भाग नहीं लूंगा। 3. मैं मद्यपान एवं धूम्रपान नहीं करूंगा तथा नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करूंगा। 4. मैं जुआ नहीं खेलूंगा। 6. अणुव्रत : स्वस्थ समाज संरचना का आधार मनुष्य अकेला जन्म लेता है किन्तु समाज में रहना उसका स्वभाव है। इसीलिए अरस्तू ने मनुष्य को सामाजिक प्राणी कहा है। समाज एक ऐसी इकाई है, जहाँ सभी व्यक्ति माला के मनकों की तरह एक-दूसरे से अनुबंधित रहते हैं, किन्तु जहाँ अनुबंधों में दरार पैदा होती है, वहाँ स्वस्थ समाज की कल्पना साकार नहीं होती। आचार्य तुलसी ने 'अणुव्रत' के माध्यम से स्वस्थ समाज संरचना की बात कही। ___'अणुव्रत' स्वस्थ समाज संरचना का आधार है। उनके अनुसार समाज की स्वस्थता के लिए मानवीय एकता की भावना अति आवश्यक है। मानवीय एकता के चार आधार सूत्र हैं-नैतिकनिष्ठा, प्रेम, सहानुभूति और अनाग्रही दृष्टिकोण। नैतिकनिष्ठा के अभाव में एक आदमी दूसरे आदमी के हितों का विघटन करता है। उसका शोषण करता है।

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