Book Title: Jain Tattva Mimansa Aur Aachar Mimansa
Author(s): Rujupragyashreeji MS
Publisher: Jain Vishvabharati Vidyalay

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Page 227
________________ 218 3. मैं हिंसात्मक एवं तोड़-फोड़ मूलक प्रवृत्तियों में भाग नहीं लूंगा। 4. मैं मानवीय एकता में विश्वास करूंगा। * जाति, रंग आदि के आधार पर किसी को ऊँच-नीच नहीं मानूँगा। * अस्पृश्य नहीं मानूँगा। 5. मैं धार्मिक सहिष्णुता रखूगा। * साम्प्रदायिक उत्तेजना नहीं फैलाऊँगा। 6. मैं व्यवसाय और व्यवहार में प्रामाणिक रहूँगा। * अपने लाभ के लिए दूसरों को हानि नहीं पहुंचाऊँगा। * छलनापूर्ण व्यवहार नहीं करूंगा। 7. मैं ब्रह्मचर्य की साधना और संग्रह की सीमा का निर्धारण करूंगा। 8. मैं चुनाव के संबंध में अनैतिक आचरण नहीं करूंगा। 9. मैं सामाजिक कुरूढ़ियों को प्रश्रय नहीं दूंगा। 10. मैं व्यसनमुक्त जीवन जीऊँगा। * मादक तथा नशीले पदार्थ-शराब, गांजा, चरस, - हेरोइन, भांग, तम्बाकू आदि का सेवन नहीं करूंगा। 11. मैं पर्यावरण की समस्या के प्रति जागरूक रहूंगा। * हरे-भरे वृक्ष नहीं काटूंगा। * पानी का अपव्यय नहीं करूंगा। (अणुव्रती के लिए संबंधित वर्गीय अणुव्रतों का पालन. अनिवार्य है।) 1. विद्यार्थी अणुव्रत * मैं परीक्षा में अवैध उपायों का सहारा नहीं लूँगा।

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