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1. शिक्षा और अणुव्रत
शिक्षा समस्त प्रगति का मूल आधार है पर इस क्षेत्र में अनेक बुराइयां तेजी से बढ़ रही हैं। छात्रों में उच्छंखलता, उद्दण्डता, तोड़-फोड़, नशा, परीक्षा में अवैध उपायों का प्रयोग तेजी से बढ़ता जा रहा है। शिक्षकों में भी दलगत राजनीति और बौद्धिक आस्था का प्रभाव है। अभिभावकों की व्यस्तता एवं उदासीनता भी बच्चों के चारित्रिक तथा नैतिक हास को बढ़ा रही है।
___ 'अणुव्रत आंदोलन' द्वारा विद्यार्थी, शिक्षक और अभिभावक-तीनों के नैतिक उत्थान के लिए अभियान चलाया जाता है। विद्यार्थियों के लिए विद्यार्थी अणुव्रत हैं। प्रतिवर्ष अणुव्रत परीक्षाएँ भी आयोजित की जाती हैं, जिसमें भाग लेकर विद्यार्थी अणुव्रत के चिन्तन और दर्शन से परिचित होते हैं। शिक्षकों के नैतिक जागरण के लिए 'शिक्षक अणुव्रत' का प्रावधान है। अब तक लाखों शिक्षक अणुव्रती बने हैं। इस कार्य को और अधिक गति देने हेतु 'अणुव्रत शिक्षक संसद' और 'अणुव्रत छात्र-संसद' का गठन किया गया है। 2. व्यापारिक प्रतिष्ठान और अणुव्रत ___समाज के आर्थिक ढांचे में शोषण, मिलावट, कम माप-तौल, जमाखोरी आदि अनेक बुराइयाँ हैं। इन्हें समाप्त करने की दृष्टि से भी इस अभियान द्वारा अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किये जाते हैं। समय-समय पर मिलावट विरोधी अभियान चलाये जाते हैं। व्यापारियों की सभा का आयोजन कर उनमें नैतिक चेतना को जगाया जाता है। उन्हें 'व्यापारी अणुव्रत' से परिचित करवाया जाता है। अनेक व्यक्ति स्वेच्छा से 'व्यापारी अणुव्रतों' को स्वीकार कर स्वस्थ समाज की भूमिका में योगदान देते हैं।