Book Title: Jain Tattva Mimansa Aur Aachar Mimansa
Author(s): Rujupragyashreeji MS
Publisher: Jain Vishvabharati Vidyalay

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Page 225
________________ 216 अणुव्रत का लक्ष्य अणुव्रत आन्दोलन का मुख्य लक्ष्य है-जीवन-मूल्यांकन के दृष्टिकोण और उसकी उच्चता के मापदण्ड को बदलना। चरित्र का न्यूनतम विकास सबमें हो क्योंकि चारित्रिक उच्चता के बिना मानव-समाज की सभ्यता और संस्कृति उच्च नहीं बन सकती। आचार्य तुलसी के शब्दों में * अणुव्रत-आन्दोलन का स्वरूप है-स्वनिष्ठा। * अणुव्रत-आन्दोलन का ध्येय है-जीवन-शुद्धि। * अणुव्रत-आन्दोलन का आदर्श है-चरित्र का उत्कर्ष। * चरित्र-अपकर्ष के हेतु हैं-बहुभोग, बहु-परिग्रह और बहु-हिंसा। * चरित्र-उत्कर्ष के हेतु हैं— भोग-अल्पता, परिग्रह-अल्पता और हिंसा-अल्पता। * आदर्श प्राप्ति के साधन हैं-अणुव्रत। अणुव्रत का लक्ष्य है* जाति, रंग, सम्प्रदाय, देश और भाषा का भेदभाव न रखते हुए मनुष्य मात्र को आत्म-संयम की प्रेरणा देना। * मैत्री, एकता, शान्ति, आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों की प्रतिष्ठा करना। * अहिंसक समाज की संरचना करना। अणुव्रत के निदेशक तत्त्व ___ आंदोलन के प्रारम्भ में नियमों की संख्या तेरह थी, जो बढ़कर छियासी हो गई। सन् 1958 में अणुव्रतों की संख्या में फिर परिवर्तन किया गया। इस अवसर पर व्रतों की भाषा का परिष्कार किया गया।

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