Book Title: Jain Tattva Mimansa Aur Aachar Mimansa
Author(s): Rujupragyashreeji MS
Publisher: Jain Vishvabharati Vidyalay

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Page 230
________________ 221 प्रेम के अभाव में एक आदमी दूसरे आदमी से घृणा करता है। उसे हीन मानता है, तिरस्कृत करता है। . सहानुभूति के अभाव में एक आदमी दूसरे आदमी की कठिनाइयों की उपेक्षा करता है। अपने ही सुख-दुःख की समस्या को प्राथमिकता देता है। अनाग्रही दृष्टिकोण के अभाव में मनुष्य वैचारिक स्वतन्त्रता का हनन करता है। मतभेद के आधार पर एक-दूसरे को कुचलने का प्रयत्न करता है। परिणामस्वरूप समाज रुग्ण बनता है। आचार्य तुलसी ने स्वस्थ समाज संरचना के कुछ सूत्र प्रस्तुत किये, जो निम्नलिखित 1. हिंसा समस्या का समाधान नहीं, इस आस्था का निर्माण। 2. मानवीय एकता में विश्वास। 3. दूसरों के, श्रम का अशोषण। 4. मानवीय सम्बन्धों का विकास। 5. सत्ता एवं अर्थ का विकेन्द्रीकरण। 6. वैचारिक-सहिष्णुता। 7. जीवन-व्यवहार में करुणा का विकास। 8. आहार-शुद्धि और व्यसनमुक्ति। 9. सामाजिक रूढ़ियों का परिष्कार। 1. हिंसा समाधान नहीं . ____ स्वस्थ समाज संरचना के लिए पहली आवश्यकता है-अहिंसक चेतना का जागरण। समाज में जीने वाले एक गृहस्थ के लिए आवश्यक हिंसा और सूक्ष्म हिंसा से बच पाना असंभव है। वह इससे मुक्त नहीं हो सकता। जीवन को चलाने के लिए उसे हिंसा का सहारा

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