Book Title: Jain Tattva Mimansa Aur Aachar Mimansa
Author(s): Rujupragyashreeji MS
Publisher: Jain Vishvabharati Vidyalay

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Page 226
________________ 217 अणुव्रतियों के लिए तीन श्रेणियाँ बनाई गई–प्रवेशक अणुव्रती, अणुव्रती और विशिष्ट अणुव्रती। प्रवेशक अणुव्रती के लिए ग्यारह नियमों का विधान किया गया। अणुव्रती के लिए अणुव्रतों के साथ उसके शील और चर्या का पालन भी करना होता है। विशेष संयम का जीवन जीने वाले विशिष्ट अणुव्रती कहलाए। अणुव्रत के निदेशक तत्त्व, अणुव्रत की आचार-संहिता तथा वर्गीय अणुव्रत निम्नलिखित हैंअणुव्रत के निदेशक तत्त्व - 1. दूसरों के अस्तित्व के प्रति संवेदनशीलता। 2. मानवीय एकता। 3. सह-अस्तित्व की भावना। 4. साम्प्रदायिक सद्भावना। 5. अहिंसात्मक प्रतिरोध। 6. व्यक्तिगत संग्रह और भोगोपभोग की सीमा।. 7. व्यवहार में प्रामाणिकता। 8. साधन-शुद्धि में आस्था। १. अभय, तटस्थता और सत्यनिष्ठा। अणुव्रत : आचार संहिता 1. मैं किसी भी निरपराध प्राणी का संकल्पपूर्वक वध नहीं करूंगा। * आत्म-हत्या नहीं करूंगा। * भ्रूण-हत्या नहीं करूंगा। 2. मैं आक्रमण नहीं करूंगा। * आक्रामक नीति का समर्थन नहीं करूंगा। * विश्व-शांति तथा निःशस्त्रीकरण के लिए प्रयत्न करूंगा।

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