________________
. 3. फैशन, सुख-सुविधाओं हेतु पशु-पक्षियों के प्रति क्रूरता।
4. औषधियों के आविष्कार एवं निर्माण हेतु क्रूरता।
5. फिल्मों में पशुओं के प्रति क्रूर व्यवहार। 1. पशु-पक्षियों के आवास का क्रूरतापूर्ण विनाश
मनुष्य द्वारा स्वयं की बढ़ती जनसंख्या की विकास सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए पशु-पक्षियों के प्राकृतिक आवासों को क्रूरतापूर्ण तरीकों से तहस-नहस एवं नष्ट किया गया है। इन आवासों का विनाश खेती, आवास और चारागाह जैसी आवश्यकता पूर्ति के साथ लकड़ी एवं अन्य संसाधनों की प्राप्ति हेतु किया गया है। इस विनाश का वन्य जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और एक ऐसा वातावरण नष्ट हो गया है, जो उन्हें भोजन, प्रजनन क्षेत्र तथा पक्षियों को घोंसले बनाकर अपने बच्चों का पालन करने जैसी सुविधाएँ प्रदान करता है। वन्य प्राणियों के पास ऐसी स्थिति में इसके सिवाय अन्य कोई विकल्प नहीं रह जाता कि या तो वे नवीन परिस्थितियों के अनुकूल बनें, पलायन कर जाएँ या नष्ट हो जाएँ। पशु-पक्षियों की इस क्रूर वास्तविकता के साथ मनुष्य यह विस्मृत कर देता है कि सभ्यताएँ वनों से प्रारम्भ होकर रेगिस्तान में समाप्त होती हैं।
- भारत में 752.3 लाख हेक्टेयर भूमि को वन क्षेत्र घोषित किया गया है, इसमें से 406.1 लाख हेक्टेयर आरक्षित वन, 215.1 लाख हेक्टेयर सुरक्षित वन, 111.63 लाख हेक्टेयर गैर वर्गीकृत एवं अन्य तरह से वर्गीकृत वन हैं। इन सबके बावजूद भारत में विश्व के मात्र 2 प्रतिशत वन हैं जबकि विश्व की पशु संख्या । का लगभग 13 प्रतिशत पशु भारत में है। इस नवीन क्षेत्र में निरन्तर कमी आ रही है। चंडीगढ़, दिल्ली, पांडिचेरी, लक्षद्वीप, हरियाणा आदि में उनके कुल क्षेत्रफल का अति नगण्य क्षेत्र वन हैं। जबकि