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है, तब उसका संसार परिभ्रमण समाप्त हो जाता है। पुनर्जन्म की श्रृंखला टूट जाती है अतः स्पष्ट है कि व्यक्ति को कर्मों के कारण ही बार-बार जन्म-मरण (पुनर्जन्म) करना पड़ता है। . .
प्रश्नावली प्रश्न-1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखें
1. जैन दर्शन के अनुसार आत्मा के स्वरूप पर प्रकाश डालें। 2: आत्मा के भेद-प्रभेदों का विवेचन करें। 3. आत्मा के अस्तित्व को सिद्ध करें। 4. सिद्ध करें कि आत्मा शरीर परिमाण है। 5. आत्मा और शरीर के सम्बन्ध को विस्तार से समझाएँ।
6. पुनर्जन्म की अवधारणा पर प्रकाश डालें। प्रश्न-2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 100 शब्दों में दें
1. गति की अपेक्षा से आत्मा के प्रकारों का विवेचन करें। 2. अध्यात्म की अपेक्षा से आत्मा के प्रकारों का विवेचन करें। 3. आत्मा और शरीर का संबंध कब हुआ? 4. पुनर्जन्म की स्मृति के हेतुओं पर प्रकाश डालें। 5. पुनर्जनम के कारणों पर प्रकाश डालें।