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श्वेताम्बर श्रमण संघ का प्रारम्भिक स्वरूप
पर्युषणाकल्प की विस्तृत 'स्थविरावली" में भी सुधर्मा से लेकर यशोभद्र तक वही नाम आये हैं, जो संक्षिप्त स्थविरावली में हम ऊपर देख चुके हैं। यशोभद्र के दो शिष्यों भद्रबाहु और संभूतविजय का इसमें भी नाम मिलता है।
भद्रबाहु के ४ शिष्य हुए १. गोडास, २. अग्निदत्त, ३. यज्ञदत्त, ४. सोमदत्त | गोडास से गोडासगण अस्तित्व में आया । इस गण की ४ शाखायें हुई
१. ताम्रलिप्तिका
२. कोटिवर्षीया
३. पौण्डुवर्धनिका
४. दासीकर्पटिका
सम्भूतविजय के १२ शिष्यों का नाम मिलता है, जो इस प्रकार है :
१. नन्दनभद्र
७. पूर्णभद्र
२. उपनन्द
३. तिष्यभद्र
४. यशोभद्र (द्वितीय)
८. स्थूलिभद्र
९. ऋजुमति
१०. जम्बू
११. दीर्घभद्र
५. सुमनोभद्र
६. मणिभद्र
१२. पाण्डुभद्र
इसके पश्चात् सम्भूतिविजय की ६ शिष्याओं का भी नाम मिलता है, जो इस प्रकार हैं :
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१. यक्षा
२. यक्षदत्ता
३. भूता
४. भूतदत्ता
स्थूलभद्र के दो शिष्य हुए - १. आर्यमहागिरि और २. आर्यसुहस्ति । आर्यमहागिरि के ८ शिष्यों का नाम मिलता है :
५. सेणा
६. वेणा
७. रेणा
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