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( ३० ) अगर कोई विधवा विवाह मे वैधव्य की चिकित्सा करता है तो हमें उमको धन्यवाद देना चाहिये । यहाँ कोई शीलभ्रष्टता की सम्भावना करं नो यह भी अनुचित है। इसका उत्तर हम दे चुके हैं । देवकत विधुरत्व के दुःख को हम दूर करते हैं और इससे समाज की शोभा नहीं बिगड़ती तो बंधव्य दुव को दूर करने से भी शोभा न बिगड़ेगी।
प्रश्न (१८)-जिस तरह जैन समाज की संख्या घट रही है उससे जैन समाज को हानि है या लाभ ?
उत्तर-गवर्नमेगट को मईमशमारी की रिपार्टी के देखने में साफ़ मालम है कि प्रतिवर्ष ७ हज़ार के हिसाब से जैनी घट रहे हैं। गवर्नमेण्ट की रिपोर्ट पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है। समाज का श्रादर्श जिनना चाहे ऊंचा हो, परन्तु उसे अपना माध्यम ऐसा अवश्य रखना चाहिये जिससे समाज का नाश न होजाय । उच्च धर्म का पालन करना अच्छी बात है, परन्तु वह समाज का अनिवार्य नियम न होना चाहिये । जिनमें शक्ति हो वे पालन करें, न हो तो न करें। समाज की संख्या कायम रहेगी तो उच्व धर्म का पालन करने वाले भी मिलेंगे । जब समाज ही न रहेगी तो कौन उच्च धर्म का पालन करेगा और कौन मध्यम धर्म का। इस लिये समाज को कोई भी आत्मघातक रिवाज न बनाना चाहिये । वर्तमान में अनिवार्य वैधव्य के रिवाज से संख्या घट रही है और इससे बहुत हानि हो रही है।
प्रश्न (११)---जैनसमाज में काफी संख्या में अविवाहित हैं या नहीं?
उत्तर--हैं । परंतु इसका कारण स्त्रियों की कमी नहीं,