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दय से तो विधुर भी बनता है और सभी विपत्तियाँ पाती हैं। उनका इलाज किया जाता है । विधुर का दूसरा विवाह किया जाता है। इसी तरह विधवा का भी करना चाहिये । इसका उत्तर हम पहले भी विस्तार से दे चुके हैं । "पुरुषत्वहीन पुरुषों की सिकारें होगी" इस श्राक्षेप के समाधान के लिये देखो "३ घ"।
आक्षेप ( घ)-विधवाविवाह के विरोधियों को पापियों की कक्षा में किस पागम युक्तितर्क के आधार पर आपने घसीट लिया ? (विद्यानन्द)
समाधान-इसका उत्तर ऊपर के (ख) नम्बर में है। उससे सिद्ध है कि कारित और अनुमोदन के सम्बन्ध से विधवाविवाह के विरोधी भ्रूण हत्यारे हैं।
आक्षेप (ङ)--पण्डित लोग पागम का अवर्णवाद नहीं करना चाहते । वे तो कहते हैं कि परलोक की भी सुध लिया करा।
समाधान-जिन पगिडतों के विषय में यह बात कही जारही है, घेवचारे अज्ञानतमसावृत जीव आगम को समझते ही नहीं 1 वे तो रूढ़ियों को ही धर्म या पागम समझते हैं और रूढ़ियों के भंडाफोड़ को श्रागम का प्रवर्णवाद । परलोक की सुध दिलाने की बात तो विचित्र है। जो लोग खुद तो चार २ पाँच पांच औरतें हज़म कर जाते हैं और बालविधवाओं से कहते है कि परलोक की सुध लिया करो ! उन धृष्टों से क्या कहा जाय ? जो 'बुद तो हूँस ढूंस कर खाते हो और दूसरों से कहते हो कि "भगवान् का नाम लो ? इस शरीर के पोपने में क्या रक्खा है ? यह तो पुद्गल है"---उनकी धृष्टता प्रदर्शनी की वस्तु है । वे इम धृष्टता से उपदेश नहीं देते, आदेश करते है, ज़बर्दस्ती दसगे का भूखों रखते हैं । क्या यह परलोक की