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देते हैं। अब परिडता से हम पूछते हैं कि उनकी क्या सलाह है ? अगर वे गुप्त व्यभिचार की मलाह देते है, तो उसके भीतर भ्रण हत्या की सलाह भी शामिल है क्योंकि भ्रणहत्या न करने पर व्यभिचार गुप्त न रह सकेगा। इसलिये इस सलाह से परिडतों को भ्रणहत्या का दोषी होना ही पड़ेगा। अगर व विधवाविवाह की सलाह देते है तो भ्रूण हत्या के पाप से बच सकते है। यदि वे इम पाप से बचना चाहते है तो उन्हें विधवाविवाह को व्यभिचार और भ्रण हत्या से भी बुरा कहने की बान प्रायश्चित्त के साथ वापिस लेना चाहिये । ऐसी हालत में ये पण्डित सुधारको से जुद नहीं रह सकते । क्योंकि सुधारक लोग भी व्यभिचार आदि की अपेक्षा विधवाविवाह को बाच्छा समझते हैं, पूर्णब्रह्मचर्य से विधवाविवाह को अच्छा नहीं समझते । इस वक्तव्य से सिद्ध हो जाता है कि पण्डित लोग भ्रण हत्या श्रादि का प्रचार बुल्लमखुल्ला भले ही न करते हो परन्तु उनके सिद्धान्त ही पसे है कि जिससे भ्रणहत्या का समर्थन तो होता ही है साथ ही उसको उत्तेजन भी मिलता है। और यह पाप विधवाविवाह करने वाली बहिनों को नहीं करना पडता, बल्कि उन्हें करना पड़ता है जो पगिडतों के कथनानुसार विधवाविवाह का गालियाँ देती हैं या उससे दूर रहती हैं।
आक्षेप (छ)-श्राप लिग्नते है कि स्थितिपालका में सभी भ्रण हत्या पसन्द नहीं करने परन्तु फीसदी नवं करते है । इस परम्पर विरोधी वाक्य का क्या मतलब?
समाधान-इम प्राक्षप में प्राक्षपक ने अपने भाषाविज्ञान का ही नहीं, भाषाशान का भी दिवाला निकाल दिया है। पूणांश के निषध में अल्पांश की विधि भी इन्हें परम्पर विरुद्ध मालूम होती है। अगर कोई कहे कि मेरे पास पुग रुपया तो नहीं है, चौदह श्राने हैं। तो भी आक्षेपक यही