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मासा धर्म के मानने वाले वैष्णव और जैनी भाइयों! श्रवषी पाप हो चुका है। यदि इस पाप के अपराध से बचना चाहते हो तो अपनी र समाज में विधवा विवाह जारी करके अपने पापों का प्राय श्चित कर डालो।
नोट:-स ट्रक्ट में जहां हिन्दू विधवाओं की संख्या बतलाई है उसमें सनातन
धमा जैनी, आर्य समाजी, सिक्ख, ब्रह्मसमाजी और बौद्ध विधवानों की संस्या भी शामिल है जो हिन्दू महासभा के नियमानुसार हिन्द जाति है। में माने गये हैं। लेखक
शान्ति !
शान्ति !!
शान्ति !!!
दामोदर प्रेस, रावतपाड़ा प्रागर।