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कन्याओं को कुछ कसरत भी मीख लेनी चाहिय, लाठी
आदि चलाना भी जान लेना चाहिये जिससे मंकट पड़ने पर अपनी क्षा कर सकें इस तरह अहिंमा अागबन पालना चाहिये।
(२) मत्य वचन मदा बालना चाहिये, ऐमा वचन नहीं कहना चाहिये जिमग दुसरे का नुकमान हो जाये। पर को बरी करने वाला सत्य वचन भी झट है : कड़या बचन, पर की निन्दा का बचन, गानी गलौन का बचन, कठोर बचन, यह मर झूट है-त्री की मुग्व की शोभा मत्य हिनकारी वचनों से है झट बोलना महापाप समझना चाहिये । सत्यवादीको कोई भय नहीं रहता है। कन्यायों को मीठे वचनों के द्वारा अपने घर वालों को अपने वश करलेना चाहिये । मीग हितकारी वचन तो जगन भरको वश कर सकता है।
(:) कन्यायों को कभी भी चोरी करने की आदन न डालना चाहिये । घर में खाने पीने की सब चीज़ों को माता पिना से पूछ कर लेना चाहिये चुगकर एक लट भी ग्वाया जायगा तो यादन बरी हो जायगी। मांगकर लेना अच्छा है परन चोरी करना अच्छा नहीं है चांग से जगन में विश्वास उठ जाता है ।
(४) कन्यायों को शीलवन की महिमा सीवनी चाहिये जहां तक विवाह न हो बहनों को पग ब्रह्मचर्य