Book Title: Jain Dharm aur Vidhva Vivaha 01
Author(s): Savyasachi
Publisher: Jain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi

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Page 390
________________ (१) पहिला कर्तव्य तो यह है कि ख ब विद्या पढ़ें, शरीर से परिश्रम करना सीखें. घर के काम बड़ी खुशी मे कर, आटा पीसने की, झाडू देनेकी, अन्न चुगने की, मफाई रखने की, पानी भरने की, रसोई बनाने की, कपड़ों को माफ रखने की, आदतें बनालें । प्यार से मीठे वचन बोलने की आदत डालें । विद्या पढ़ती हुई अपने चरित्र पर पग ध्यान रक्खें । जो कन्या चरित्र पर पग ध्यान नहीं देती है वह अच्छी गृहस्थ महिला नहीं बन सकती है एक कन्या को शुरू से ही नीचे लिखे आठ पाग में अपना मन अलग रखना चाहिये । (?) जान बूझकर किसी मनुष्य को या पशु पक्षी को मताना न चाहियं न उसके प्राण लेना चाहिये, दया धम को पालना चाहिये, काम काज करते हुये देखभाल करके करना चाहिये जिननी जीवों की रक्षा होगी उतना भला होगा । पानी मदा छानकर पीना पिलाना चाहिये, दयाभाव रखकर जो कोई भख गर्गव अपाहन भाई व बहन ही उनका भोजन व वन देना चाहिये भूखे जानवरों को, पक्षियों को खिलाना चाहिये सब मे प्रेम रखना चाहिये, गेगी आदमियों की सेवा टहल करनी चाहिये परन्तु यदि कोई चोर बदमाश सतावे तब उस पर दया न करनी चाहिये उसको मार भगाना चाहिये और अपने जान माल को व अपने शील को बचाना चाहिये इसलिये

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