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यदि शास्त्रों में "विधवा विवाह" का निषेध रूप मे वर्गान पाता तब यह बात कुछ विचारणीय हो जाती और इसकी युक्ति व प्रमाण में बुद्धि की कसौटी तर्क वितर्कसे परखा जाता और मत्य असत्य का निर्णय किया जाता, परन्तुशास्त्रों में कहीं भी "विधवा विवाह' निषेध नहीं है। ३. 'विधवा' और 'विवाह' ये दो शब्द कहां
तक असंगत है ? ___ हमार विगंधी मित्र 'विधवा' और 'विवाह' इन दोनों शब्दों को असंगत बतलाते हैं। यदि यह दोनों शब्द असंगत मान भी लिय जाय नब भी 'विधवा विवाह पार केमे ठहर सकता है : बात यह है कि जब इन दोनों शब्दों का परस्पर मल जाता है इनके छहां अक्षगं के एक समूह मव बेचार छकड़ भूल जाते हैं. इसलिये व इन दोनों शब्दों को असंगत कहने लगते हैं । खेर..........! __ अधिकतर सुनने में आता है कि अमुख विधवा व्यभिचारिणी हो गई, अमुक विधया के गर्भ रह गया, अमुक विधवा मुसलमान या ईमाई बन गई. अमुक विधवा वेश्या बन गई. इत्यादि २...... ( विचार कीजिये, कि यदि 'विधवा
और 'विवाह' यह दो शब्द असंगत हैं, तो 'विधवा' और 'व्यभिचार', अथवा 'विधवा' और 'गर्भ' ये तो इनसे भी अधिक अमंगत हैं। विधया के धब नहीं होता और बिना धर पुरुष के गर्भ नहीं रहसकता इसलिये जब कोई विधवाली
* "विधवा' x 'विवाह'"विधवा विवाह"