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गर्भवती होगई तो वह सधवा हो चुकी इसमें कुछ संदेह नहीं। जब 'विधवा' और 'गर्भ' इन दो शब्दों की प्रकृत्ति सङ्गत बनाती है तो फिर 'विधवा' और विवाह इन दो शब्दों का सङ्गत होना कितनी बड़ी बात है ? ४. "विधवाविवाह” से शरीर की विशुद्धि
नष्ट हो जायेगी" इस पर विचार:
हमारे विगंधी मित्र "विधवा विवाह पर यह भी आक्षेप करते हैं कि विधवा विवाह से शरीर की विशुद्धि नष्ट हो जायेगी।
इसमें मालूम होता है कि वे शरीर को विशुद्ध मानते हैं। दुःख है कि हमारे मित्र इन छोटी २ बातों में बड़ी २ गलतियां कर बैठते है, नहीं तो वे अपवित्र शरीर को विशुद्ध कभी नहीं कहतं । शरीरके विषय में यह हर कोई जानता है:
"पलरुधिर राध मल थैली, कीकस वसादि ने मैली। नव द्वार बहें घिनकारी, अस देह करे किम यारी ॥
ऐसी अपवित्र देह को जो विशुद्ध बतलाते हैं, उनकी बुद्धि पर हंसी पाती है। उनकी श्रांखां व बुद्धि की तीव्रता पर पाठक जरा विचार तो करें ? ५. "स्त्री” “पुरुष” में भोज्य भोजक
सम्बन्ध नहीं है। हमारे विरोधी मित्र यह आक्षेप भी करते हैं कि जिस प्रकार एक मनुष्य अनेक थालियों में भोजन कर सकता है, लेकिन एक थाली में कई पुरुष भोजन नहीं कर सकतं, उसी