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अधिक उमर के कुमारों की संख्या ६३ हज़ार से अधिक के स्थान में दो हज़ार से भी कम रह जाय । जब तक विधवाविवाह की सुप्रथा का प्रचार न होगा तब तक यह विषमता दूर नहीं हो सकती ।
अन्तर्जातीय विवाह से भी कुछ सुभीता हो सकता है क्योंकि करीब ४२०० कुमारियाँ ऐसी हैं जिनकी उमर २० वर्ष से ज्यादा होगई है परन्तु उनका विवाह नहीं हुआ | छोटी जातियों में गोग्य वर न मिलने से यह परिस्थिति पैदा हो गई है । बड़ी जातियों को भी इस कठिनाई का सामना करना पड़ता है । अन्तर्जातीय विवाह का प्रचार करने के साथ विधवा विवाह के प्रचार की भी ज़रूरत है क्योंकि विधवाविवाह के बिना अविवाहितों की समस्या हल नहीं होसकती ।
श्रीलालजी यह स्वीकार करते हैं कि 'लड़का लड़की समान होते हैं परन्तु लांग अविवाहित इसलिये रहते हैं कि वे ग़रीब है' । इस भले श्रादमी को यह नहीं सूझता कि जब लड़का लडकी समान हैं तो गरीबों को मिलने वाली लड़. कियाँ कहाँ चली जाती हैं ? भले आदमी के लड़के भी तो एक स्त्री रखते हैं । हाँ, इसका कारण यह स्पष्ट है कि विधुर लोग कुमारियों को हजम कर जाते हैं । ऐसे अविवाहित कुमार्ग की संख्या बहुत ज्यादा है जिनके पास पश्चीस पचास हजार रुपये की जायदाद भले ही न हो या जो हज़ार दो हज़ार रुपये देकर कन्या खरीदने की हिम्मत न रखते हो फिर भी जा चार श्रादमियों की गुज़र लायक़ पैदा कर लेते हैं। लड़कियों को लखपति लेजाँय या करोड़पति ले जाँय परन्तु यह रूपए है कि विवाहयोग्य उमर के ६३ हजार कुमार्गे को लड़कियाँ नहीं मिल रही हैं । जब इनके लिये लड़कियाँ है ही नहीं तब ये लखपति भले ही बन जाँय परन्तु इन्हें अविवाहित रहना