________________
( १५६) आक्षेप ( क )-प्रश्नकर्ता का प्रश्न समझ कर तो उत्तर देते । जो मनुष्य ब्रह्मचर्याणुव्रत धारण नहीं करता उस का विवाह करके क्या करोगे ? वह तो माता बहिन को स्त्री समझता है।
(श्रीलाल) समाधान-हमारे उपयुक्त वक्तव्यको पढ़कर पाठक ही विचारें कि प्रश्न कौन नही ममझा है। जिसने ब्रह्मचर्य अणुव्रत नहीं लिया है, उसे ब्रह्मचयप्रणुषन देने के लिये ही तो विवाह है । इस आक्षेपक ने विवाह को ब्रह्मचर्यवन रूप माना है । यहाँ कहना है कि ब्रह्मचर्यवनरहित का विवाह क्यों करना अर्थात् ब्रह्मचर्यवून क्यों देना ? मतलब यह कि अवूनोको व्रत दना निग्थंक है : कैसा पागलपन है !
आक्षेप ( ख ) क्या दीक्षा और विवाह यही दो अव. स्थाएँ हो सकती हैं।
(विद्यानन्द) समाधान-जो दीक्षा नही लेता और विवाह भी नहीं करना उससे कोई ज़बर्दस्ती नहीं करना । परन्तु उसे विवाह करने का अधिकार है । अधिकार का उपयोग करना न करना उसकी इच्छा के ऊपर निर्भर है। उपयोग करने से वह पापी न कहा जायगा।
आक्षेप (ग)-जब श्राप विधुर विधवा श्रादि जिस किसी को विवाह करने का अधिकार देने हैं तब तो एक वर्ष की बांध बच्ची भी विवाह करावें । आपने नो बात, वृद्ध, अनमेल विवाह की भी पीठ ठोकी। (विद्यानन्द )
समाधान-इससे तो यह बात कही गई है कि वैधव्य, विवाहमें बाधक नहीं है ।१ वर्ष की बच्ची का विवाह तो हो ही नहीं सकता यह हम अनेक बार कह चुके हैं। बालविवाह का जैनधर्म और हम विवाह ही नहीं मानते हैं । विवाह के अन्य अन्ना बहिरङ्ग निमित्त मिल जाने पर कोई भी विवाह कर