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अगरेजी में कन्या के बदले fiss ( मिस ) शब्द का प्रयोग होता है, परन्तु कन्या शब्द का अर्थ जब कुमारी किया जायगा तभी उसका पर्याय शब्द Miss (मिस ) होगा; जब नारी अर्थ किया जायगा तब Miss ( मिस ) शब्द उसका पर्यायवाची नहीं बन सकता। असली बात तो यह है कि 'घर' और 'कन्या' इसका ठीक हिंदी अनुवाद होगा 'दल्हा' और 'दुल्हन'। जिस प्रकार 'दुल्हा' को 'घर' कहते हैं उसी प्रकार दुल्हिन को 'कन्या' कहते हैं। वर शब्द का अङ्गारेजी अनुवाद है Bride. groon (ब्राइडग्रम); इसलिये कन्या शब्द का अनुवाद होगा Bride (ब्राइड)। विवाह के प्रकरण में कन्या शब्द का दुल्हिन अर्थात् Bride अर्थ लगाना ही उचित है । जिस प्रकार भोजन के समय सैन्धव शब्द का घोड़ा अर्थ करना पागलपन है, उसी प्रकार विवाह के प्रकरण में कन्या शब्द का कुमारी अर्थ करना पागलपन है । उस समय तो कन्या शब्दका दुल्हिन अर्थ ही होना चाहिये । वह दुल्हिन कुमारी भी हो सकती है
और विधवा भी हो सकती है । इसलिये कन्या शब्दके कारण विधवाविवाह का निषेध नहीं किया जा सकता।
आक्षेप-(क) सभी देवियों को दूसरे देवों के साथ नहीं रहना पड़ता । देवी जिसे चाहे उसी देव को अपना पति नहीं बना सकती, परन्तु अपने नियोगी को ही पति बना सकती है। देवियों के दृष्टान्त से विधवाविवाह की पुष्टि न करना चाहिये । दृष्टान्त जिस विषय का है पुष्टि भी वैसी करेगा। देवाना दुसरी गति है। रजस्वला नहीं होती, गर्भधारण नहीं करती, उन के पलक नहीं गिरते, जब कि मनुष्यनी की ये बातें होती हैं।
समाधान-सभी देवियों को दूसरा पति नहीं करना पड़ता, परन्तु जिन देवियों का पति मर जाता है वे पति के