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( २३ ) विधवा ) को भी कन्या कह सकते हैं, यह बात श्राप पहिले म्वीकार कर चुके हैं और यहाँ भी स्वीकार कर रहे हैं । यही बात हम सिद्ध करना चाहते हैं । 'जो दूसरा पति ग्रहण करे वही कन्या हे' यह तो हमारा कहना नहीं है। हम तो यह कहना चाहते हैं कि वह भी कन्या है। इस अर्थ को आप भी स्वीकार करते हैं । हाँ साहसगति विद्याधर और कुण्डल. मरिडत के दृष्टान्त से यह बात अवश्य मालूम होती है कि जब कोई पुरुष किसी स्त्री को ग्रहण करना चाहता है, तभी प्रायः वह कन्या कही जाती है। अन्य अवस्थानों में अकुमारी को कन्या कहने के उदाहरण प्रायः नहीं मिलते। इन उदाह. रणों से तथा वर और कन्या शब्द की समानार्थकता से यह बात साफ मालूम होती है कि कन्या का अर्थ विवाह करने वाली या विवाह योग्य स्त्री है।
__ यांगेप का उदाहरण देकर ना पाप ने अपना ही विरोध किया है । श्राप ने कन्या शब्द का अर्थ अकुमारी स्त्री भी किया है, जब कि योरोप का उदाहरण देकर आप यह सिद्ध करना चाहते हैं कि अविवाहिता को ही कन्या कहते हैं । परन्तु आप ने शब्दों का प्रयोग ऐसा किया है, जिस से हमारी वात सिद्ध होती है। श्राप का कहना है कि-यारोप में विवाह के पहिले लड़कियों को कन्या माना जाता है। इस पर हमारा कहना है कि अगर कोई बालविधवा दूसरा विवाह करे तो उस विवाह के पहिले भी वह कन्या कहलायगी । यह तो श्राप बिलकुल हमारे सरीखी बात कह गये । आपने यह तो कहा नहीं है कि प्रथम विवाहके पहिले कन्या कहलानी हे और दूसरे विवाह के पहिले कन्या नहीं कहलाती ! खोर। अब इस नर्क वितर्क के बाद सीधी बात पर श्राइये । योरोप में भारतीय भाषा के कन्या प्रादि शब्दों का प्रयोग नहीं होता ।